विनीत मिश्र, मथुरा। राधानाम का प्रचार-प्रसार कर देश-दुनिया में विख्यात हुए वृंदावन के संत प्रेमानंद की दोनों किडनी खराब हैं। राधारानी की भक्ति की शक्ति उन्हें जीने की ताकत दे रही है। कई लोगों ने उन्हें किडनी दान देने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इसे विनम्रतापूर्वक टाल दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बहुत कम लोगों को जानकारी है कि संत प्रेमानंद किडनी की गंभीर बीमारी के कारण डायलिसिस पर हैं। एक सप्ताह में तीन चार से दिन उनकी डायलिसिस होती है। उनके आवास पर ही चार लोगों का स्टाफ डायलिसिस करता है।
अक्सर संत प्रेमानंद को उनके भक्त अपनी किडनी देने की इच्छा जताते हैं, लेकिन संत यह कहकर अनुरोध टाल देते हैं कि नहीं किसी को कष्ट पहुंचाकर किडनी नहीं लेना। जब तक श्रीजी चाहेंगी हमारी सांसें चलेंगी। वह यह भी कहते हैं कि मेरी एक किडनी कृष्ण है तो एक राधा। इन्हें हम अपने से कैसे अलग कर दें।
किडनी अत्याधिक संक्रमित होने के कारण संत प्रेमानंद की नियमित रूप से डायलिसिस होती है। संत प्रेमानंद वृंदावन-छटीकरा रोड पर स्थित कृष्ण शरणम कालोनी स्थित आवास पर नियमित डायलिसिस होती है। हर सप्ताह तीन से चार दिन डायलिसिस होती है।
इसके लिए आवास पर ही सारी मशीनें लगाई गई हैं। दो तकनीशियन इसे संचालित करते हैं और उनके साथ दो सहयोगी भी रखे गए हैं। ऐसे में चार लोग डायलिसिस की प्रक्रिया को अंजाम देते हैं। जब भी मशीन में कोई दिक्कत है यो फिर डायलिसिस की प्रक्रिया में कोई समस्या आती है तो सिम्स हास्पिटल के वरिष्ठ नेफ्रालाजिस्ट डा. आशीष शर्मा आन काल आवास पर पहुंचते हैं और सारी व्यवस्थाएं देखते हैं।
डाॅ. आशीष शर्मा बताते हैं कि वह करीब तीन वर्ष से संत प्रेमानंद की डायलिसिस की व्यवस्था देख रहे हैं, जब भी कोई दिक्कत होती है तो आन काल वह संत प्रेमानंद के आवास पर पहुंचते हैं। प्रति सप्ताह तीन से चार डायलिसिस होती हैं और एक डायलिसिस में कम से कम चार घंटे का समय लगता हैं।
संत के लिए खाने का विशेष परहेज हुए उन्हें खाने में भी विशेष परहेज करना पड़ता है। सादा भोजन के साथ ही दिन भर में एक से डेढ़ लीटर पानी ही वह पीते हैं। नेफ्रालाजिस्ट डा. आशीष शर्मा कहते हैं कि संत के भोजन में नमक की मात्रा बेहद कम होती है। जूस व अन्य तरल पदार्थ पूरी तरह मना है। इसके अलावा काला और सेंधा नमक भी पूरी तरह मना है। संत प्रेमानंद के लिए खट्टी चीजें भी पूरी तरह खाने से मना हैं।
मृत्यु पहले से तय, फिर करवा चौथ का व्रत क्यों
संत प्रेमानंद से एकांतिक वार्ता में एक भक्त ने कहा कि महिलाएं करवा चौथ का व्रत किस उद्देश्य रखती हैं। उन्होंने जवाब दिया कि यह छोटी-मोटी बाते हैं। अनुष्ठान या करवा चौथ किसी की मृत्यु को नहीं बचा सकते हैं। जितना ईश्वर ने लिखा है, उतना ही पति जीवन जिएंगे। |