अंतरिक्ष में राष्ट्रीयता मायने नहीं रखती, क्योंकि मानवता सर्वोपरि है- शुभांशु शुक्ला (पीटीआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय शुभांशु शुक्ला ने शुक्रवार को कहा कि जब कोई पृथ्वी छोड़कर अंतरिक्ष में जाता है तो पूरी पृथ्वी उसकी पहचान बन जाती है। अंतरिक्ष में राष्ट्रीयता मायने नहीं रखती, क्योंकि मानवता सर्वोपरि है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीई) से संबद्ध स्कूलों के छात्रों से ऑनलाइन माध्यम से संवाद के दौरान शुभांशु ने कहा कि इस दुनिया में लोगों की अलग-अलग पहचान हो सकती है, लेकिन जब कोई अंतरिक्ष में होता है, तो वह धुंधली हो जाती हैं।
मेरा देश मेरी पहचान - शुभांशु शुक्ला
उन्होंने कहा, जब मैं अंतरिक्ष मिशन के लिए अमेरिका में प्रशिक्षण ले रहा था, तो मेरा देश मेरी पहचान था। जब आप इस ग्रह को छोड़ते हैं, तो आपका ग्रह आपकी पहचान बन जाता है। यह एक ऐसा गहरा एहसास होता है कि पूरी पृथ्वी ही आपका घर है। अंतरिक्ष से आप बस पृथ्वी को देखते हैं और कहते हैं - यहीं मैं रहता हूं। जब आप अंतरिक्ष से हमारे ग्रह को देखते हैं, तो आपको अहसास होता है कि हम वास्तव में कितने छोटे और महत्वहीन हैं।
भारत को अंतरिक्ष से देखना बहुत भावुक क्षण था- शुभांशु
शुभांशु ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार भारत को अंतरिक्ष से देखा तो यह उनके लिए बहुत भावुक क्षण था। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में दो-तीन दिन बिताने के बाद एक दिन जब वह अपने काम में व्यस्त थे, तब नासा के अंतरिक्षयात्री ने बताया कि वे भारत के ऊपर से उड़ान भरेंगे।
शुभांशु ने कहा, उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं इसे देखना चाहूंगा। मैंने कहा, \“\“हां, बिल्कुल।\“\“ इसके बाद उन्होंने कैमरे सेट किए.. रात में देश के ऊपर से उड़ान भरने का दृश्य असाधारण रूप से खूबसूरत था। भावनाएं अभिभूत करने वाली थीं।
शुभांशु आइएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय
एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुभांशु आइएसएस की यात्रा पर गए थे। शुभांशु आइएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय हैं। वह अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्षयात्री हैं। राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के सोयूज अंतरिक्षयान से अंतरिक्ष स्टेशन सैल्यूट 7 पर गए थे।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ) |