मतांतरण किया तो नहीं मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ। प्रतीकात्मक फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के आलीराजपुर जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र सोंडवा में धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया। ग्राम पंचायत आकडि़या के अंतर्गत आने वाले ग्राम चिलकदा में गुरुवार को अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभाओं को विशेष अधिकार देने वाले पेसा अधिनियम के तहत विशेष ग्रामसभा आयोजित की गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसमें रखे गए प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो आदिवासी परिवार अपनी मूल संस्कृति और परंपरा को छोड़कर ईसाई धर्म अपना चुके हैं, वे अब गांव की सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकेंगे। इसके साथ ही उन्हें शासन की योजनाओं से मिलने वाले लाभों से भी वंचित रखा जाएगा।
ईसाई धर्म अपनाने पर योजनाओं से वंचित
सर्वसम्मति से जो प्रस्ताव पारित हुआ, उनमें कहा गया है कि ईसाई धर्म अपना चुके परिवारों के अंत्येष्टि संस्कार भी भील समाज के श्मशान घाट पर नहीं किए जाएंगे। विवाह में गांव से किसी प्रकार की सहायता या सहयोग नहीं मिलेगा। उनके साथ भील समाज के परिवार वैवाहिक संबंध नहीं जोड़ेंगे। उन्हें आदिवासी जाति के आधार पर मिलने वाली शासन की योजनाओं से वंचित रखा जाएगा।
ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित
ग्रामसभा क्षेत्र में बाहरी ईसाई पादरियों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। यदि कोई मतांतरित परिवार घर वापसी करता है, तो ग्रामसभा उसका ससम्मान स्वागत करेगी। जो परिवार प्रस्ताव को नहीं मानेगा, उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। पेसा जिला समन्वयक प्रवीण चौहान ने बताया कि इस अधिनियम का उद्देश्य आदिवासियों को स्थानीय स्वशासन, पारंपरिक व्यवस्था और सांस्कृतिक संरक्षण का अधिकार देना है।
बाहरी पादरियों के प्रवेश पर रोक
ग्रामसभा प्रस्ताव अपने हक में पारित कर सकती है। जबकि जिला पंचायत सीईओ प्रखर ¨सह ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र है। ग्राम पंचायत अपने स्तर पर निर्णय ले सकती है, यह उसका अधिकार है लेकिन प्रशासन किसी को शासन की योजनाओं से सिर्फ धर्म के आधार पर वंचित नहीं रख सकता। |