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हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम फर्जीवाड़ा: 32 फर्जी मरीजों के नाम पर लिए 16 लाख, चार बीमा कंपनियों को लगाया चूना

deltin33 2025-10-10 17:36:08 views 561

  

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण



जागरण संवाददाता, गोरखपुर। हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के नाम पर हुई जालसाजी गोरखपुर से लेकर संतकबीरनगर तक के अस्पतालों में हुई है। रामगढ़ताल थाना पुलिस की जांच में सामने आया है कि संतकबीरनगर के विवेकानंद हास्पिटल ने एक वर्ष में 32 फर्जी मरीजों के नाम पर करीब 16 लाख रुपये का इंश्योरेंस क्लेम हासिल किया है।जांच में सामने आया है कि फर्जी दस्तावेज, नकली डिस्चार्ज समरी और जाली हस्ताक्षर के जरिए यह रकम चार नामी बीमा कंपनियों-आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड, एसबीआइ जनरल, केयर हेल्थ और मेडी इंश्योरेंस से ली गई थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

रामगढ़ताल पुलिस की टीम जब जांच के सिलसिले में विवेकानंद और वैष्णवी हास्पिटल पहुंची, तो दोनों अस्पतालों के संचालक पहले ही फरार हो चुके थे।पुलिस ने विवेकानंद हास्पिटल के रजिस्टर, मरीजों की फाइलें और बिलिंग डिटेल कब्जे में लेकर उनकी प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है, जबकि वैष्णवी हॉस्पिटल से मिले दस्तावेजों की जांच अभी जारी है।

जांच में यह भी सामने आया है कि कई फाइलों में एक ही पते और मोबाइल नंबर वाले मरीजों के नाम से अलग-अलग तारीखों पर भर्ती दिखाया गया था। रिपोर्ट, दवा की लिस्ट और डिस्चार्ज समरी तक हूबहू एक जैसी हैं- यानी पूरा खेल कापी-पेस्ट ठगी का था।पुलिस की जांच में पता चला कि विवेकानंद अस्पताल ने पहले मरीजों का डेटा बनाया, फिर बीमा कंपनियों से क्लेम अप्रूवल के लिए जाली मेडिकल रिपोर्ट भेजी।

क्लेम पास होते ही रकम सीधे हास्पिटल अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई।रामगढ़ताल पुलिस ने विवेचक की रिपोर्ट के आधार पर अब अस्पताल संचालक,डाक्टर को नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब देने को कहा है।

जवाब न मिलने पर धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में कार्रवाई की जाएगी।इसके अलावा संतकबीनगर के सीएमओ को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है।इसके अलावा दो अन्य अस्पतालों के भूमिका की जांच चल रही है।

जांच में मिला डिसेंट हॉस्पिटल से कनेक्शन :  

यह पूरा मामला दरअसल गोरखपुर के डिसेंट हास्पिटल फर्जीवाड़े की जांच से जुड़ा हुआ है।बजाज आलियांज इंश्योरेंस कंपनी की शिकायत पर पुलिस ने जब जांच शुरू की, तो दिल्ली निवासी सत्यदीप के नाम पर 1.80 लाख रुपये का फर्जी क्लेम सामने आया।

सत्यदीप ने बताया कि वह कभी किसी अस्पताल में भर्ती ही नहीं हुए।इसके बाद जांच की परतें खुलती गईं और पुलिस को फर्जी मरीजों के दस्तावेजों में समान पैटर्न और एक जैसे हैंडराइटिंग वाले फार्म मिले, जिनसे संतकबीरनगर के दोनों अस्पतालों का कनेक्शन उजागर हुआ।




डिसेंट हास्पिटल केस की जांच में संतकबीरनगर के दो अस्पतालों का लिंक मिला है।विवेकानंद हास्पिटल में फर्जी क्लेम की पुष्टि हो चुकी है, जबकि एक अन्य हास्पिटल की जांच जारी है।जिसकी भी भूमिका इस मामले में पायी जाएगी उसके विरुद्ध कार्रवाई होगी।
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- अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
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