मायावती के आरोपों पर सपा सांसद का जवाब - सपा ने ही दिया दलितों और पिछड़ों को सम्मान   
 
 
- सपा-बसपा में जुबानी जंग तेज, बर्क बोले - बसपा अब राजनीति के हाशिए पर
 
 - अखिलेश-आजम मुलाकात पर भाजपा का तंज, सपा ने बताया सम्मान का प्रतीक
 
 - सपा में फूट की अटकलों को बर्क ने किया खारिज, कहा - पार्टी पहले से ज्यादा मजबूत
 
  संभल। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कांशीराम की पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा हमला बोला।   
 
 
 
 
मायावती के बयान पर सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “बसपा की करनी और कथनी में बहुत फर्क है। आज उत्तर प्रदेश में मुस्लिम, यादव और अनुसूचित जाति (एससी) समाज पर अत्याचार हो रहा है और मायावती भाजपा की तारीफ कर रही हैं। यही कारण है कि बसपा आज राजनीति के हाशिए पर पहुंच गई है।”   
उन्होंने कहा कि सपा ने हमेशा सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का काम किया है और अन्याय के खिलाफ हमेशा खड़ी रही है। मायावती के आरोप बेबुनियाद हैं। जनता जानती है कि कठिन समय में सपा ने ही उनका साथ दिया।   
 
 
 
 
मायावती ने आरोप लगाया कि सपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद कांशीराम के नाम पर बनी योजनाओं और संस्थाओं को बंद कर दिया। इस पर बर्क ने पलटवार करते हुए कहा, “बिना सबूत के इस तरह के आरोप लगाना गलत है। सपा सरकार में मुस्लिम, यादव और पीडीए समाज को जितना लाभ मिला, उतना बसपा शासन में कभी नहीं मिला। सपा का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है और भविष्य में पार्टी और मजबूत होगी।"   
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने अयोध्या में सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी आजम खान से मुलाकात केवल वोट बढ़ाने की नौटंकी है। खन्ना ने तंज कसते हुए कहा, “जब आजम खान 23 महीने जेल में थे, तब अखिलेश ने कोई हमदर्दी नहीं दिखाई। अब चुनाव नजदीक आते ही यह दिखावा शुरू हो गया।”   
 
 
 
 
सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने जवाब दिया, “अखिलेश यादव साफ दिल के इंसान हैं और पार्टी के सभी नेताओं का ध्यान रखते हैं। आजम खान से उनकी मुलाकात आपसी सम्मान और एकता का प्रतीक है, न कि कोई राजनीतिक नाटक।”   
बर्क ने कहा कि भाजपा नेताओं को लगता है कि आजम खान और शिवपाल यादव मिलकर कोई नया गठबंधन बना सकते हैं, लेकिन यह उनकी कोरी कल्पना है। सपा के सभी नेता एकजुट हैं। भाजपा की सपा में फूट डालने की कोशिशें नाकाम रहेंगी। मीडिया के कुछ माध्यमों से भी भ्रम फैलाने की कोशिश हुई, लेकिन सपा पहले से अधिक मजबूत होकर उभर रही है। आने वाले समय में पार्टी और सशक्त रूप से सामने आएगी। 
 
  
 
 
  
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