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रामविलास की विरासत की दावेदारी पर एक बार फिर चिराग पड़े भारी! पुण्यतिथि पर पैतृक गांव नहीं पहुंचे चाचा पारस

LHC0088 2025-10-9 23:36:35 views 926

  



विनोद कुमार, अलौली (खगड़िया)। लोजपा की स्थापना रामविलास पासवान ने 28 नवंबर, 2000 को थी। इससे पूर्व वर्ष 1983 में दलित सेना की स्थापना उनके द्वारा की गई थी। उनका मूल मंत्र था- ‘मैं उस घर में दिया जलाने चला हूं, जिस घर में सदियों से अंधेरा है।’ और आजीवन वे इसको लेकर संकल्परत रहे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

2020 में उनका निधन हो गया। उसके बाद 2021 में लोजपा दो भाग में बंट गई।उस समय पार्टी के छह में पांच सांसद स्मृति शेष रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस (पारस समेत) के साथ रहे। इनमें खगड़िया के तत्कालीन सांसद चौधरी महबूब अली कैसर भी शामिल थे। सांसद चिराग अकेले रहे।  
पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच जंग जारी

फिर लोजपा (रामविलास) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बनी। लोजपा (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान बने और रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस बने। तबसे रामविलास पासवान की विरासत को लेकर चाचा-भतीजा, पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच जंग जारी है। जिसमें चिराग बार-बार भारी नजर आए हैं।  

बीते आठ अक्टूबर को रामविलास पासवान की पुण्यतिथि थी। इस मौके पर उनके पैतृक गांव शहर बन्नी चिराग पासवान अपने स्वजनों और सभी सांसदों के साथ आए। पुण्यतिथि समारोह में भाग लिया।  
बड़ी मां राजकुमारी देवी से मुलाकात

उन्होंने रामविलास पासवान की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। अपनी बड़ी मां राजकुमारी देवी से मुलाकात भी की। इस मौके पर अपने पिता रामविलास पासवान के सपनों को पूरा करने का संकल्प भी जताया।

परंतु आठ अक्टूबर को शहर बन्नी न तो पशुपति कुमार पारस आए और न ही उनके पार्टी के कोई प्रतिनिधि। मालूम हो कि पारस अपने पुत्र यशराज पासवान को अलौली(सुरक्षित) विधानसभा से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। पारस और उनकी पार्टी के किसी प्रतिनिधि के आठ अक्टूबर को शहर बन्नी नहीं पहुंचने को लेकर चर्चाएं हैं।

इधर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि, श्रद्धेय रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पार्टी की ओर से पटना स्थित कार्यालय में मनाई गई। जिसमें रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस, पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत बड़ी संख्या में नेता-कार्यकर्ता मौजूद रहे। पिछले साल शहरबन्नी में कार्यक्रम हुआ था।  

श्रवण अग्रवाल कहते हैं- शहरबन्नी से पारस जी का अटूट रिश्ता है। चिराग पासवान तो पार्टी टूटने के बाद शहरबन्नी आने-जाने लगे। उससे पहले कितनी बार वहां गए? इधर लोजपा(रा) के प्रदेश सचिव डॉ. पवन जायसवाल ने कहा कि, रामविलास पासवान शोषितों, वंचितों की आवाज थे। उनकी विरासत को चिराग पासवान आगे बढ़ा रहे हैं।
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