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बनियापुर चुनाव: मतदाताओं के अधूरे मुद्दे, क्या होगा समाधान?

LHC0088 2025-10-9 22:06:37 views 674

  



राजू सिंह,बनियापुर (सारण)। वैसे तो हर बार चुनाव के समय समस्या समाधान के लिए नेताओं के द्वारा वादों की झाड़ी लगाई जाती है। लेकिन इस बार वोटरों के द्वारा अपने बचे हुए कसक को ही मुद्दा बनाने की उम्मीद है। जिस पर सवाल जवाब भी हो सकती है। बनियापुर प्रखंड मुख्यालय जहां सार्वजनिक शौचालय नहीं है। यहां के तालबदार नदी किनारे जाने को मजबूर हो जाते है। जो कि व्यापारिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है, वहां आज भी सार्वजनिक शौचालय और यूरिनल जैसी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

  

  

हर दिन सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण और दूरदराज के लोग खरीदारी व सरकारी कार्यों के लिए यहां आते हैं, लेकिन उन्हें शौचालय की अनुपलब्धता के कारण भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। विशेषकर महिलाओं के लिए यह स्थिति और भी कष्टकारी हो जाती है।  

  

  

  

स्वक्षता के प्रति सरकार भले ही अभियान चला कर लोगों को जागरूक कर रही है। लेकिन यहां प्रखंड मुख्यालय जैसे बाजारों पर कोई सार्वजनिक शौचालय या यूरिनल उपलब्ध नहीं है। नजदीकी सरकारी कार्यालयों या दुकानों में भी आम जनता को प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती, जिससे महिलाएं और बुजुर्ग अत्यंत असहज महसूस करते हैं।

  

  

  

कई बार महिलाएं पानी पीने से भी परहेज करती हैं ताकि टॉयलेट की आवश्यकता ही न पड़े। गांव से आई एक महिला खरीदार सुल्ताना प्रवीण कहती हैं, \“बाजार में दो-तीन घंटे खरीदारी में लग जाते हैं लेकिन कहीं भी महिलाओं के लिए शौचालय नहीं है। ऐसे में शर्मिंदगी भी होती है और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।\“ यह मुख्य बजार क्षेत्र गांव से लगभग 1–3 किमी के दायरे में है, जहां प्राथमिक व्यापारिक गतिविधियां जैसे खरीदारी, किराना, कपड़ा, किराए की दुकानें तथा किराए के मकान आदि सम्पन्न होती हैं।

  

  

  

  

स्थानीय युवा वार्ड पिंटू रस्तोगी तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को कई बार उठाया, लेकिन अभी तक प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस पहल नहीं हुई है। इसके अलावा स्थानीय दुर्गा पूजा समिति अध्यक्ष संजय सिंह, संतोष रस्तोगी, उपेंद्र यादव, रणजीत सिंह आदि लोगों ने भी प्रशासन से अपील की है कि बाजार और मुख्यालय जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जल्द से जल्द सार्वजनिक टॉयलेट की व्यवस्था की जाए ताकि आम जनता को राहत मिल सके और बाजार की छवि भी स्वच्छ एवं सुसंस्कृत बन सके। प्रखंड के इन बाजारों पर नहीं है शौचालय की व्यवस्था  प्रखंड के बनियापुर, पूछरी, खाकीमठिया, सहजीतपुर, ढ़ोबवाल, टेढ़ीघाट, सतूंआं, हरपुर कराह सहित दर्जनों ऐसी बड़ा से लेकर छोटे मोटे बाजार है जहां सार्वजनिक शौचालय या यूरिनल की कोई व्यवस्था नहीं है।

  

  

  

  

जबकि उक्त सभी बाजारों पर शाम को सैकड़ों लोग हाट बाजार करने जाते है। तथा इसमें कई बाजार सरकारी डाक के अंतर्गत भी आती है। जिससे सरकार को हर वर्ष 4 से 5 लाख तक राजस्व मिलती है। फिर भी मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिलना लोगों के लिए मलाल बन कर रह जाती है।

  

  

  

इसके संबंध में बीडीओ रमेंद्र कुमार ने बताया कि सार्वजनिक शौचालय बनाने का जल्द ही प्रस्ताव भेजा जाएगा।  अगर सही संसाधन मिले तो सोना उगलेगी बहियारा चावर   अगर सही संसाधन मिले तो दो जिला और तीन प्रखंडों को जोड़ने वाली बहियारा चावर सोना उगल सकती है। दो जिला जिसमें सारण और सिवान तथा तीन प्रखंड में बनियापुर, मशरख तथा सिवान के भगवानपुर हाट शामिल है। यह 20 एकड़ क्षेत्र में फैली खेती इस समय सिंचाई संकट से जूझ रही है।

  

  

  

इसमें लगाए गए फसल की वास्तविक स्थिति यह है कि पटवन के अभाव में रबी फसल तथा बाढ़ के कारण धान की फसल भी नहीं हो पाती है। जिसके कारण रबी, मक्का व सब्जियों की फसलें सूख जाती है या तो बर्षा के कारण डूब जाती है। यानी न जल निकासी का प्रबंध है, और नहीं जल संकट से निपटने के लिए सरकार के तरफ से स्टेट बोरिंग जैसी कोई व्यवस्था की गई है। सच पूछे तो पहले इसी चावर के खेती से पूरे चावर के इर्द गिर्द के गांव के लोग फसली खेती कर अपने परिवार का भरन पोषण करते थे। लेकिन समय के अनुसार नदी की असमय पानी तथा सुखर ने किसानों के मंसूबे पर पानी फेर दिया है।

  

  

  

जहां स्थानीय लोग बताते है कि कुछ नेताओं से जल संसाधन की व्यवस्था की मांग की गई तो कुछ नेता औने पौने भाव में जमीन बेचने की बात करने लगे। तो कुछ ने खरीदा भी रखा है। अगर सही संसाधन मिले तो सोना उगलेगी बहियारा चावर   अगर सही संसाधन मिले तो दो जिला और तीन प्रखंडों को जोड़ने वाली बहियारा चावर सोना उगल सकती है। दो जिला जिसमें सारण और सिवान तथा तीन प्रखंड में बनियापुर, मशरख तथा सिवान के भगवानपुर हाट शामिल है।

  

  

  

यह 20 एकड़ क्षेत्र में फैली खेती इस समय सिंचाई संकट से जूझ रही है। इसमें लगाए गए फसल की वास्तविक स्थिति यह है कि पटवन के अभाव में रबी फसल तथा बाढ़ के कारण धान की फसल भी नहीं हो पाती है। जिसके कारण रबी, मक्का व सब्जियों की फसलें सूख जाती है या तो बर्षा के कारण डूब जाती है। यानी न जल निकासी का प्रबंध है, और नहीं जल संकट से निपटने के लिए सरकार के तरफ से स्टेट बोरिंग जैसी कोई व्यवस्था की गई है।

  

  

  

सच पूछे तो पहले इसी चावर के खेती से पूरे चावर के इर्द गिर्द के गांव के लोग फसली खेती कर अपने परिवार का भरन पोषण करते थे। लेकिन समय के अनुसार नदी की असमय पानी तथा सुखर ने किसानों के मंसूबे पर पानी फेर दिया है। जहां स्थानीय लोग बताते है कि कुछ नेताओं से जल संसाधन की व्यवस्था की मांग की गई तो कुछ नेता औने पौने भाव में जमीन बेचने की बात करने लगे। तो कुछ ने खरीदा भी रखा है। बनियापुर और मशरक के पशु अस्पतालों की बदहाली, पशुपालक परेशान बनियापुर और मशरक प्रखंड स्थित पशु अस्पताल इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं।

  

  

  

दोनों अस्पतालों के भवन जर्जर अवस्था में हैं और मरम्मत के अभाव में इनके दीवारों में दरारें और छतों से पानी टपकने की स्थिति बनी हुई है। न तो पशुओं के इलाज की समुचित व्यवस्था है, न ही आवश्यक उपकरण या दवाइयाँ उपलब्ध हैं। पशुपालकों के लिए शौचालय, बैठने की जगह और पीने के पानी की सुविधा तक नहीं है, जिसके कारण उन्हें भारी असुविधा होती है। बारिश के दिनों में अस्पताल परिसर कीचड़ और गंदगी से भर जाता है, जिससे पशुओं को लाना भी मुश्किल हो जाता है।

  

  

  

  

स्थानीय ग्रामीणों और पशुपालकों ने विभाग से अस्पताल के पुनर्निर्माण और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते सुधार नहीं किया गया, तो पशुपालन से जुड़ी समस्याएँ और बढ़ेंगी। पशु चिकित्सा सेवाओं को सशक्त बनाना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी आवश्यक है, इसलिए प्रशासन को तत्काल ध्यान देना चाहिए। प्रखंड कार्यालय का सरकारी आवास बना चारागाह, प्रशासनिक कामकाज प्रभाव  प्रखंड कार्यालय के अधिकारियों के आवासीय क्षेत्र की बदहाल स्थिति इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। यह पूरा परिसर अब मवेशियों का चारागाह बन चुका है।

  

  

  

  

परिसर में जगह-जगह गंदगी, झाड़ियों और पशुओं की आवाजाही से वातावरण अस्वच्छ बना हुआ है। तथा प्रखंड के कई मुख्य अधिकारी जैसे सीओ तथा बीडीओ जिला           मुख्यालय पर आवासीय ढंग से रहने को बाध्य है। जिसके कारण जब किसी आपदा या लॉ एंड ऑर्डर की समस्य होती है तो इन अधिकारियों के सूचना पर आते आते काफ़ी विलंब हो जाती है।

  

  

  

इस अव्यवस्था के कारण कई बार अधिकारी और कर्मचारी समय पर मुख्यालय नहीं पहुंच पाते, जिससे कार्यालयी कार्यों में देरी हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रखंड मुख्यालय का यह हाल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। नियमित सफाई और उचित प्रबंधन की व्यवस्था नहीं होने से सरकारी कार्यालय की साख पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।

  

  

  

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि प्रखंड परिसर की जल्द सफाई कराकर मवेशियों के प्रवेश पर रोक लगाई जाए। अगर समय रहते व्यवस्था नहीं सुधारी गई, तो इससे जनहित से जुड़े कई कार्य प्रभावित होते रहेंगे। उचित प्रबंधन और निगरानी से प्रशासनिक कार्यक्षमता में सुधार लाया जा सकता है। हरपुर कराह सड़क की बदहाली से आमजन परेशान बनियापुर से हरपुर कराह तक जाने वाली सड़क लंबे समय से जर्जर हालत में पड़ी है। सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो जाने और कई हिस्सों के टूट-फूट जाने से राहगीरों और वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

  

  

  

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सड़क का निर्माण 2010 से 2012 के बीच हुई थी। तथा बीच में इस सड़क की मरम्मती हुई थी। लेकिन मरम्मती भी उसी तरह हुई कि आगे से मरम्मती होती गईं और पीछे से सड़क उखरती चली गई। बारिश के दौरान सड़क पर पानी भर जाने से हालात और भी खराब हो जाते हैं। आए दिन छोटे-बड़े हादसे होते रहते हैं। लोगों ने विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से कई बार मरम्मत की मांग की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सड़क की मरम्मत नहीं कराई गई तो वे आंदोलन करने को विवश होंगे।
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