बुलंदशहर की गली में घूमते आवारा कुत्ते
जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। शहर से देहात तक आवारा कुत्तों का आतंक व्याप्त है। गलियों के कुत्तों के साथ पालतू कुत्ते भी अपने स्वामी या उसके परिवार के सदस्यों पर हमला कर रहे हैं। जिले में सितंबर माह में आठ हजार 415 लोगों पर कुत्तों ने, 1814 लोगों पर बंदरों ने हमला किया। 585 लोगों को बिल्ली ने काटा या पंजे मारे। इन सभी ने सरकारी अस्पताल में मुफ्त वैक्सीन लगवाई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिले में मेडिकल कालेज और सभी सीएचसी समेत 78 स्थानों पर मुफ्त एआरवी लगाई जा रही है। हर माह लोगों को कुत्ते, बंदर, बिल्ली और अन्य जानवरों के काटने के बाद होने वाले रेबीज से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगभग 25 लाख रुपये से अधिक का बजट खर्च कर रहा है।
सितंबर माह में आवारा कुत्तों ने 6651 लोगों पर हमला किया तो 1764 पालतू कुत्तों ने अपने स्वामी या उसके स्वजन को काटकर घायल किया। कल्याण सिंह राजकीय मेडिकल कालेज से संबद्ध जिला अस्पताल में प्रतिदिन 170 से अधिक लोग एआरवी लगवाने के लिए पहुंच रहे हैं।
बिल्ली, नेवला, गीदड़, गधा और घोड़ा के काटे मरीज भी जिला अस्पताल आ रहे
साथ ही तीन से पांच मरीज सीएचसी से रेफर होकर एआरएस (एंटी रेबीज सीरम) लगवाने के लिए आते हैं। जिला अस्पताल के सीएमएस डा. प्रदीप राणा ने बताया कि आवारा कुत्तों की समस्या सुरसा के मुख की तरह बढ़ती जा रही है। आवारा और पालतू कुत्ते, बंदर, बिल्ली, नेवला, गीदड़, गधा और घोड़ा आदि जानवरों के काटे मरीज भी जिला अस्पताल वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं। कुत्ते और बंदरों की बढ़ती संख्या एक गंभीर समस्या है, क्योंकि एआरवी पर वैक्सीन, सिरिंज और स्टाफ के वेतन समेत प्रतिमाह लगभग 25 लाख रुपए खर्च होते हैं। कोई भी जानवर काटे तुरंत एआरवी लगवाएं। समय से एआरवी लगती है तो रेबीज का खतरा न के बराबर रह जाता है।
दो कुत्तों के बधियाकरण के बाद बंद है नसबंदी
शहरी क्षेत्र में नगरपालिका नसबंदी के लिए थोड़ा बहुत प्रयास कर भी रही हैं, लेकिन गांव में नसंबदी कैसे होगी। बुलंदशहर नगरपालिका ने पिछले वर्ष आवारा कुत्तों की नसंबदी का काम शुरू किया, लेकिन दो हजार कुत्तों की नसबंदी करने के बाद अभियान थम गया। अब फिर से नसबंदी के लिए टेंडर करने की तैयारी की जा रही है। जिले में एक अनुमान के मुताबिक एक लाख से अधिक आवारा कुत्तों की फौज है। कुत्तों के बढ़ते हमलों पर सुप्रीम कोर्ट तक स्वत: संज्ञान लेकर नसबंदी करने और आश्रय गृह बनाने के लिए आदेश दे चुका है। नगरपालिका ईओ डा. अश्विनी कुमार सिंह का कहना है कि आश्रय स्थल के लिए जमीन तलाशी जा रही है। नसबंदी के लिए टेंडर होने वाला है।
ये है शासन की गाइडलाइन
आवारा कुत्तों की नसबंदी की जाएगी।
स्टेरिलाइजेशन के बाद तीन दिन तक डाक्टर चेकअप करेंगे।
तीन दिन तक डाग को पुष्टाहार दिया जाएगा।
शहर में डाग्स पालने वालों का रजिस्ट्रेशन होगा
ब्रीडिंग करने व कराने का लाइसेंस होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की मुख्य बातें
कुत्तों का वैक्सीनेशन कराया जाए
आबादी कंट्रोल करने को नसबंदी हो
जहां से पकड़े जाएं वहीं छोड़े जाएं
आक्रामक, रेवीज ग्रस्त कुत्ते शेल्टर होम में रखे जाएं
सार्वजनिक स्थलों पर भोजन की व्यवस्था न हो
ये बरतें सावधानी
एआरवी की पहली डोज जल्द से जल्द लगवा लें
तीसरे दिन एआरवी की दूसरी डोज
सातवें दिन एआरवी की तीसरी डोज
28वें दिन एआरवी चौथी डोज लगवाएं
घाव ज्यादा होने पर तुरंत इम्युनोग्लोबिन लगवा लें
कुत्ते पर नजर रखें। यह मर जाता है तो इलाज में लापरवाही बिल्कुल न करें। |