जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम के धालभूमगढ़ में एंबुलेंस नहीं मिलने पर एक सबर व्यक्ति द्वारा अपनी बीमार पत्नी को कंधे पर लादकर घर ले जाने की मार्मिक घटना पर झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है।
अखबारों में छपी खबरों पर अदालत ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और विस्तृत रिपोर्ट के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह है मानवता को शर्मसार करने वाली घटना
यह हृदयविदारक मामला धालभूमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का है। गुड़ाबांधा के मुड़ाठाकुरा गांव के रहने वाले गुरा सबर अपनी पत्नी शुकुलमनी सबर को गंभीर हालत में इलाज के लिए लाए थे। शुकुलमनी का हीमोग्लोबिन काफी कम था और उन्हें बुखार के साथ थूक में खून आने की शिकायत थी।
शनिवार को डाक्टरों ने उनकी नाजुक हालत को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया। आरोप है कि रेफर करने के बाद दंपति को न तो 108 एंबुलेंस मिली और न ही अस्पताल ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था की। जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो बेबस पति गुरा अपनी पत्नी को कंधे पर उठाकर ही पैदल अपने गांव की ओर चल पड़ा।
रास्ते में दुकानदार ने की मदद
एक हाथ से पत्नी को और दूसरे हाथ से थैला संभाले गुरा सबर जब सड़क पर चल रहा था, तो उसकी इस बेबसी को देखकर हर कोई हैरान था। रास्ते में एक मोबाइल दुकानदार की नजर उन पर पड़ी, जिसने मानवता दिखाते हुए एक ऑटो की व्यवस्था कर दंपति को धालभूमगढ़ चौक तक पहुंचाया।
अब लीपापोती में जुटा स्वास्थ्य विभाग
मामला मीडिया में आने के बाद जब स्वास्थ्य अधिकारियों तक बात पहुंची तो हड़कंप मच गया। आनन-फानन में एक एंबुलेंस भेजकर दंपति को चौक से वापस अस्पताल लाया गया। हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों का दावा है कि दंपति ने एमजीएम जमशेदपुर जाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें एंबुलेंस से उनके घर भेज दिया गया। अधिकारियों का यह भी तर्क है कि दंपति ने एंबुलेंस का इंतजार किए बिना ही अस्पताल छोड़ दिया था। |