गेंदा की खेती करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं किसान, फूलों की महक से दूर होगी घर की गरीबी
जागरण संवाददाता, पलवल। कृषि विशेषज्ञ डाॅ. महावीर सिंह मलिक ने कहा कि फूलों की खेती करके किसान मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। फूलों में गेंदा की मांग सबसे ज्यादा रहती है। गेंदा के फूलों की निरंतर बढ़ती मांग ने किसानों को गेंदा की खेती की ओर आकर्षित किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्थानीय मांग के साथ-साथ राजधानी दिल्ली के नजदीक होने के कारण किसानों को फूलों की बिक्री के लिए विशाल मंडी उपलब्ध होने से ऊंचा बाजार भाव मिल जाता है। जिले में भी किसान गेंदा की खेती करके अच्छा लाभ ले सकते हैं। डा. मलिक किसान कल्याण मंच द्वारा आयोजित गोष्ठी में किसानों को गेंदा की उन्नत खेती बारे जानकारी दे रहे थे। गोष्ठी की अध्यक्षता हरचंद पूरी ने की तथा संचालन लाला राम तंवर ने किया।
उन्होंने कहा कि इस समय परंपरागत फसलों के अलावा गेंदा की खेती व्यावसायिक स्तर पर वैज्ञानिक तरीके से करके ज्यादा आमदनी ली जा सकती हैं। गेंदे की खेती सामान्य दोमट व रेतीली भूमि में आसानी से की जा सकती है। गेंदा की हिसार ब्यूटी, हिसार जाफरी, पूसा अर्पिता व पूसा नारंगी गेंदा की उन्नत किस्में 8 से 10 टन फूलों की उपज दे देती है। इसके अलावा अफ्रीकन गेंदा की गोल्ड स्मिथ, अफ्रीकी जॉइंट ऑरेंज व बैटर स्कोच आदि किस्में भी उगा सकते है।
गेंदे की 200–250 बीज से तैयार पौध एक एकड़ में लगाई जा सकती है। गंदे की पौध तैयार करने के लिए इसकी बिजाई जुलाई से मध्य अक्टूबर तक 10 सेंटीमीटर ऊपर उठी 1×2 मीटर नाप की क्यारियों में कतारों में करनी चाहिए। पौधशाला में क्यारियों में बीज डालने के बाद छानी हुई गोबर खाद की हल्की परत लगा दे तथा सुखी घास या पत्तियों से ढक दें। पौधशाला में जब पौधे 6 से 8 पत्ती के हो जाए तब इन्हें खेत में तैयार क्यारियों में 30×40 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाकर सिंचाई कर देनी चाहिए।
गेंदा लगाने से पहले खेत में गोबर की खाद मिला देनी चाहिए। पौधे लगाने से पहले भूमि में 400 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 65 किलोम्यूरेट पोटाश तथा 80 किलोग्राम यूरिया डाले तथा बाकी बची 150 किलोग्राम यूरिया को दो बार एक एक माह के अंतराल पर पौधे लगाने के बाद डालें। सर्दियों में सिंचाई 10 से 15 दिन के अंतर पर तथा गर्मियों में 5 से 7 दिन के अंतर पर करते रहे।
गेंदा के पौधों से फूल अधिक लेने के लिए पौध लगाने के 25 से 30 दिन बाद पौधों को ऊपर से चुटक दे। इससे तने अधिक संख्या में बनने से फूल ज्यादा लगते हैं। डाॅ. मलिक ने आगे बताया कि सिंचाई के बाद पूरी तरह खिले फूलों को सुबह या श्याम के समय तोड़ते रहे। इन फूलों को बास की टोकरियों, थैलो या पालीथिन के लिफाफों में अच्छी तरह पैक करके शीघ्र मंडी भेज देना चाहिए।
फूलों की माला बनाकर बिक्री करने से ज्यादा लाभ कमाया जा सकता है। पौधशाला में कभी कभी आर्द्र गलन बीमारी से पौधे मरने लगते है। इसकी रोकथाम के लिए 0.2% कैप्टन या थाइरम दवा के घोल से भूमि उपचार करना चाहिए। फसल में पत्तों का झुलसा व धब्बा रोग रोकथाम के लिए 400 ग्राम मैंकोजेब दवा 200 लीटर पानी में घोलकर 15 से 20 दिन के अंतर पर छिड़काव करते रहना चाहिए।इस प्रकार किसान 80 से 100 कुंतल पैदावार प्रति एकड़ ले सकता है। गेंदा का भाव भी 10 से लेकर 30 रुपए प्रति किलो मिल जाता है।
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