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आखिर SSC ऐसा आदेश कैसे जारी कर सकता हैं? प्रश्नपत्रों पर चर्चा करने की रोक पर दिल्ली HC ने उठाया सवाल

LHC0088 2025-10-9 07:36:23 views 95

  

एसएससी ने प्रश्नपत्रों पर चर्चा किए जाने पर कार्रवाई करने का नोटिस जारी किया है।



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) के प्रश्नपत्रों पर किसी व्यक्ति या इंटरनेट मीडिया के लिए कंटेंट तैयार करने वालों की ओर से चर्चा पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एसएससी से जवाब मांगा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि एसएससी परीक्षा पत्रों पर चर्चा पर रोक नहीं लगा सकता है। पीठ ने एसएससी को तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।

याचिका में दावा किया गया है कि एसएससी की ओर से जारी किया गया नोटिस उसके द्वारा आयोजित परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों पर चर्चा, विश्लेषण और प्रसार पर अनुचित प्रतिबंध लगाने का प्रयास करता है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि एसएससी ऐसी किसी रोक का आदेश नहीं दे सकता है। पीठ ने पूछा कि परीक्षा पत्र पर चर्चा नहीं कर सकते, आखिर एसएससी ऐसा आदेश कैसे जारी कर सकता हैं? परीक्षा हाॅल से बाहर आने के बाद सबसे पहला काम प्रश्नपत्र पर चर्चा करना होता था। पीठ ने अपने समय को याद करते हुए कहा कि कम से कम हम अपने समय में तो यही करते थे।

याचिकाकर्ता विकास कुमार मिश्रा की ओर से दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि एसएससी ने आठ सितंबर को एक नोटिस जारी कर इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म और एसएससी परीक्षा प्रश्न पत्रों या उसकी सामग्री पर किसी भी तरह से चर्चा, विश्लेषण या प्रसार करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

एसएससी भारत सरकार और उसके मंत्रालयों व विभागों में विभिन्न ग्रुप बी (अराजपत्रित) और ग्रुप सी (गैर-तकनीकी) पदों के लिए कर्मचारियों की भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है।

याचिका में कहा गया कि इसके अलावा परीक्षा प्रश्नपत्रों पर चर्चा, विश्लेषण और प्रसार पर रोक लगाते हुए आयोग द्वारा जारी उक्त नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उक्त नोटिस का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई होगी।

याचिका में दावा किया गया है कि एसएससी की कार्रवाई अवैध, मनमानी और विकृत है और इस नोटिस को रद किया जाना चाहिए क्योंकि यह छात्रों और जनता के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है।



यह भी पढ़ें- ट्रांसजेंडर महिलाओं से दुष्कर्म का अपराध BNS में शामिल करने की मांग, दिल्ली HC ने केंद्र से मांगा जवाब
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