डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। IMF की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्रस्तावों ने अमेरिकी उपभोक्ताओं पर कर बढ़ाने के रूप में कार्य किया, महंगाई बढ़ाई और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं पहुंचाया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पिछले छह महीनों में स्कोर कार्ड नकारात्मक रहा है। दो अप्रैल को \“लिबरेशन डे\“ टैरिफ लागू होने के छह महीने बाद अमेरिका ने सीमित लाभ देखा है, जबकि ये उपाय मुख्य रूप से घरेलू कंपनियों और उपभोक्ताओं पर बोझ डाल रहे हैं।
भारतीय मूल की हैं गीता गोपीनाथ
भारतीय मूल की अमेरिकी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने बुधवार को एक पोस्ट में कहा कि विभिन्न देशों पर टैरिफ लगाने की नीति अब तक अपने व्यापक आर्थिक वादों को पूरा करने में विफल रही है, जबकि अमेरिकी व्यवसायों के लिए महंगाई के दबाव और लागत को बढ़ा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जुलाई में भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया और बाद में 27 अगस्त को प्रभावी होने वाले 25 प्रतिशत द्वितीयक टैरिफ को लागू किया।
उन्होंने कहा कि टैरिफ ने सरकारी राजस्व को काफी बढ़ा दिया है, लेकिन यह प्रभावी रूप से अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं पर कर की भरपाई के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया, \“\“क्या सरकार के लिए राजस्व बढ़ा? हां। काफी हद तक। लगभग पूरी तरह से अमेरिकी कंपनियों द्वारा वहन किया गया और कुछ अमेरिकी उपभोक्ताओं पर डाला गया।\“\“
टैरिफ पर गीता गोपीनाथ का बयान
उन्होंने यह भी बताया कि टैरिफ ने कीमतों में वृद्धि में योगदान दिया है। \“\“क्या महंगाई बढ़ी? हां, घरेलू उपकरणों, फर्नीचर, काफी आदि के लिए अधिक महत्वपूर्ण रूप से,कुल मिलाकर थोड़े-थोड़े मात्रा में।\“\“ गोपीनाथ ने कहा कि टैरिफ ने कई उपभोक्ता श्रेणियों में लागत को बढ़ा दिया है। इन प्रभावों के बावजूद 53 वर्षीय गोपीनाथ ने कहा कि अमेरिकी व्यापार संतुलन या विनिर्माण क्षेत्र में सुधार का \“\“कोई संकेत अभी तक\“\“ नहीं है, जो दो प्रमुख उद्देश्य थे जिनका समर्थन टैरिफ से अपेक्षित था। |