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खून की कमी से जूझ रही हैं भोजपुर की महिलाएं, इन तरीकों को अपनाकर कर सकते हैं बचाव

cy520520 2025-10-9 00:06:28 views 478

  जिले की 68.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से हैं ग्रसित





अरुण प्रसाद, आरा। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के ताजा आंकड़ों ने जिले में मातृ स्वास्थ्य की चिंताजनक स्थिति उजागर की है। सर्वे के अनुसार भोजपुर जिले की 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की 68.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया (रक्ताल्पता) से पीड़ित हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह स्थिति न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि गर्भस्थ शिशु के लिए भी गंभीर खतरा बन सकती है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रसव पूर्व चार आवश्यक जांच (एएनसी) कराना गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है।



लेकिन जिले में केवल 33.5 प्रतिशत महिलाएं ही नियमित चार जांच कराती हैं, जबकि वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा मात्र 16.1 प्रतिशत था। विभागीय प्रयासों से इसमें 17.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, पर यह अब भी संतोषजनक नहीं है।
एनीमिया नियंत्रण के लिए नियमित जांच और संतुलित आहार आवश्यक

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर को अतिरिक्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। आयरन, फोलिक एसिड और प्रोटीन की कमी से एनीमिया तेजी से बढ़ता है। चिकित्सकों का कहना है कि एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं में प्रसव के दौरान अधिक रक्तस्राव, समय से पहले प्रसव और शिशु के कम वजन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।



इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत बुधवार, नौ अक्टूबर को जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाएंगे। इन शिविरों में गर्भवती व धात्री महिलाओं की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच, रक्त परीक्षण, वज़न मापन, और जरूरत अनुसार आयरन व अन्य दवाओं का वितरण किया जाएगा।
जागरूकता ही सबसे बड़ा उपचार

एसीएमओ डॉ. एसके सिन्हा ने बताया कि अभियान के तहत हर माह की 9, 15 और 21 तारीख को नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि –“एनीमिया से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है समय-समय पर एएनसी जांच कराना और संतुलित आहार लेना। गर्भवती महिलाओं को हरी सब्जियां, गुड़, चना, दाल, और आयरन युक्त आहार नियमित रूप से लेना चाहिए।”



डॉ. सिन्हा ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य विभाग गांव-गांव जाकर गर्भवती महिलाओं को एनीमिया के खतरे और जांच की आवश्यकता के प्रति जागरूक कर रहा है। विभाग का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में जिले में एनीमिया की दर में उल्लेखनीय कमी लाई जा सके।
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