बुधवार को चुनाव आयोग (Election Commission) ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज अग्रवाल के खिलाफ दर्ज पुलिस शिकायतों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने इन आरोपों को “पहले से सोची-समझी, झूठी और डराने वाली कार्रवाई” बताया है।
पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय ने ‘एक्स’ (X) पर पोस्ट कर बताया कि उन्हें खबरों से पता चला है कि 2026 के लिए विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) से जुड़ी दो शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। आयोग ने कहा कि ये शिकायतें चुनाव प्रक्रिया और अधिकारियों को धमकाने की कोशिश हैं ताकि चुनावी कामकाज को रोका जा सके।
चुनाव आयोग ने अपनी पोस्ट में लिखा- “ये आरोप पहले से रचे गए, बिना किसी सबूत के हैं और चुनाव से जुड़ी वैधानिक प्रक्रिया को डराकर रोकने की कोशिश हैं। लेकिन ऐसी धमकी की रणनीतियां कभी सफल नहीं होंगी।”
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आयोग ने आगे कहा कि इन “झूठी और बनाई हुई शिकायतों” के पीछे की साजिश को उजागर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। आयोग ने कहा कि “सच्चाई और कानून की जीत होगी। राज्य का पूरा चुनाव तंत्र जनता के हित में ईमानदारी और साहस के साथ काम करता रहेगा।”
यह विवाद तब शुरू हुआ जब बंगाल में दो बुजुर्ग मतदाताओं की मौत के बाद उनके परिवारों ने मुख्य चुनाव आयुक्त और राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के खिलाफ शिकायत दायर की। एक मामला पुरुलिया जिले का है, जहां 82 वर्षीय दुरजन मांझी ने सुनवाई नोटिस मिलने के कुछ घंटे बाद कथित रूप से आत्महत्या कर ली। परिवार ने बताया कि उनके पिता का नाम 2002 की भौतिक मतदाता सूची में तो था, लेकिन वेबसाइट पर नहीं दिखा, जिसके बाद सुनवाई का नोटिस आया।
इस पर आयोग ने 27 दिसंबर को एक आदेश में कहा था कि लगभग 1.3 लाख मतदाताओं के नाम वेबसाइट से तकनीकी गड़बड़ी के कारण गायब हो गए हैं। ऐसे मतदाताओं को किसी भी तरह की सुनवाई में उपस्थित होने की जरूरत नहीं है।
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