जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। रामायण रिसर्च काउंसिल ने प्रयागराज महाकुंभ-2025 पर एक विस्तृत, शोधपरक साहित्य ‘महाकुंभ का महामंथन’ तैयार किया है। इसका मूल विचार 11 वर्षीय बाल व्यास वैदेहीनंदन पंडित वेदांतजी ने दिया।
काउंसिल के सचिव पितांबर मिश्र ने बताया कि इसमें महाकुंभ, अखाड़ों तथा स्नान से जुड़ी आध्यात्मिक जानकारियां संकलित की गई हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियां सनातन संस्कृति के गौरव पर शोध कर गर्वान्वित हो सकें।
पुस्तक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा संघ के क्षेत्रीय संघचालक (उत्तर क्षेत्र) पवन जिंदल के विचार शामिल हैं। राष्ट्रीय युवा संयोजक जयराम विप्लव के अनुसार, इसमें महाकुंभ की तैयारी, आयोजन, क्रियान्वयन तथा वैश्विक संदेश को क्रमबद्ध एवं आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। काउंसिल ने सामग्री को डिजिटल रूप से प्रसारित करने की भी योजना बनाई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ट्रस्टी देव रत्न शर्मा ने बताया कि पुस्तक हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में तैयार की गई, ताकि सनातन परंपरा विश्व स्तर पर पहुंच सके और प्रमुख पुस्तकालयों में संरक्षित रहे। ट्रस्टी अंबर अग्रवाल ने जानकारी दी कि महाकुंभ के दौरान काउंसिल को सेक्टर-23 में स्थान आवंटित हुआ था।
काउंसिल का प्रयास है कि पुस्तक की पहली प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेंट की जाए। सचिव पितांबर मिश्र ने बताया कि अब काउंसिल का विचार नासिक, हरिद्वार एवं उज्जैन में आयोजित होने वाले कुंभ पर भी इसी प्रकार के दस्तावेज तैयार किए जाने का है।
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