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भारत का नया सुरक्षा कवच: IED और ग्रेनेड का नहीं होगा कोई असर, क्या है IS 19445:2025?

Chikheang 2025-12-30 00:27:38 views 721
  

अब और सुरक्षित होंगे हमारे बम निरोधक दस्ते! पहली बार मिला स्वदेशी स्टैंडर्ड, अब हर उपकरण की होगी \“कड़ी परीक्षा\“। फोटो- Adobe stock



डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। देश में बम डिस्पोजल उपकरणों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसके बावजूद इन उपकरणों की टेस्टिंग और क्वालिटी के लिए देश में कोई एकरूप और आधिकारिक मानक मौजूद नहीं था। भारत ने पहली बार इस कमी  को दूर करते हुए बम निरोधक प्रणालियों (बम डिस्पोजल सिस्टम) के लिए मानक बना दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने आईएस 19445:2025 नाम से बम निरोधक प्रणालियों (Bomb Disposal Systems) के लिए स्टैंडर्ड जारी किया है।

इस स्टैंडर्ड में बम धमाके के दौरान पैदा होने वाले विस्फोट और छरों (स्प्लिंटर) से बचाव करने वाले उपकरणों की क्षमता को परखने के नियम तय किए गए हैं। आइए बताते हैं क्‍या हैं बम डिस्पोजल सिस्टम स्टैंडर्ड (bomb disposal system standards)...
बम डिस्पोजल सिस्टम स्टैंडर्ड आईएस 19445:2025 क्या है?

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की ओर बनाए गए आईएस 19445:2025 देश का पहला बम निस्तारण सिस्टम स्टैंडर्ड है। इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय और टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (टीबीआरएल) के अनुरोध पर बनाया गया है।

  
स्टैंडर्ड क्यों बनाया गया?

बम डिस्पोजल सिस्टम के लिए बनाए गए स्टैंडर्ड का मकसद यह तय करना है कि बम निस्तारण में इस्तेमाल होने वाले उपकरण विस्फोट और छरों के असर को कितनी अच्छी तरह रोक पाते हैं।
यह मानक क्‍यों और किसके लिए जरूरी है?

बीआईएस ने यह स्टैंडर्ड भारत की जरूरतों के लिए बनाया गया है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड या तो बहुत महंगे हैं या बेहद सीमित हैं। दूसरी ओर वे भारतीय खतरों जैसे आईईडी, ग्रेनेड और फील्ड कंडीशंस से पूरी तरह मेल भी नहीं खाते हैं। नया मानक सुरक्षा बलों की जरूरतों के अनुसार बनाया गया है।
इस स्टैंडर्ड के दायरे में कौन से उपकरण आएंगे?

इस स्टैंडर्ड के दायरे में तीन प्रमुख बम निरोधक सिस्टम के लिए लागू होंगे।



  • बम ब्लैंकेट
  • बम बास्केट
  • बम इनहिबिटर



दरअसल, ये सिस्टम बम के असर को रोकने के लिए उपयोग होते हैं।

  
स्टैंडर्ड में क्या-क्या शामिल है?

आईएस 19445:2025 स्पष्ट बताता है- टेस्ट रेंज की जरूरतें। टेस्टिंग टूल्स और सेटअप टेस्ट हालात की तैयारी, मूल्यांकन मानदंड, बम विस्फोट और स्प्लिंटर के प्रभावों को मापने की प्रक्रिया यानी अब पूरा तंत्र वैज्ञानिक, दोहराने योग्य और एकसमान होगा।

इसका मतलब है कि अब बम डिस्पोजल सिस्टम का पूरा परीक्षण तंत्र वैज्ञानिक, दोहराने योग्य और देशभर में एक समान होगा।
यह जरूरी या ऑप्‍शन?

सरकार की ओर से कहा गया है कि यह मानक स्वैच्छिक अपनाने के लिए है। इसके लागू होने से मूल्यांकन में एकरूपता आएगी, गुणवत्ता आधारित निर्माण होगा और महत्वपूर्ण सुरक्षा अभियानों में तैनात बम निरोधक प्रणालियों पर भरोसा मजबूत होगा।

यह भी पढ़ें- क्‍या AI बन गया आतंकियों का नया हथियार, खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी में क्‍या कहा?
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