चीन ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल से बिजली बनाने की तकनीक विकसित की
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में चीन टेक्नोलॉजी के मामले में इतना एडवांस हो गया है कि इसे तकनिकी का पर्याय कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा। दुनियाभर में तकनिकी का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसमें चीन ने अपनी महारत नहीं हासिल की हो। इन्ही सब के बीच चीन ने एक और हैरान करने वाला कारनामा कर दिखाया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
चीनी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एडवांस सर्वेस (सतह) तैयार किया है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल को प्रयोग की जाने लायक बिजली में बदल सकता है। इसका मतलब है कि अब चीन चाहे तो उसके फाइटर जेट बिना तेल के ही उड़ान भर सकेंगे। इन फाइटर जेट्स की बॉडी को इस तरह डिजाईन करना होगा जिससे कि वे पृथ्वी पर आती हुई इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल को बिजली में बदल कर उसका इस्तेमाल उड़ान भरने में कर सकें।
चीन की नई 6G तकनीक
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन की शियान शहर स्थित शिडियन यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने एक क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है।
इस तकनीक में संचार प्रौद्योगिकी और एडवांस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया गया है। इस इनोवेशन का उपयोग इंटेलिजेंट स्टील्थ सिस्टम को विकसित करने और अगली पीढ़ी की 6G वायरलेस संचार प्रणाली को मजबूत बनाने में किया जा सकता है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कोऑपरेटिव स्टील्थ का नया मोर्चा
रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी टीम के हवाले से बताया गया है कि वे \“इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कोऑपरेटिव स्टील्थ\“के क्षेत्र में गहन शोध कर रहे हैं। इसमें कई प्लेटफॉर्म्स मिलकर काम करती हैं, जिससे रडार और अन्य इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सेंसरों के सामने उनकी विजिबिलिटी काफी कम हो जाती है। यह तकनीक पारंपरिक स्टील्थ तरीकों से अलग है, जहां केवल छिपने पर फोकस होता है। यहां दुश्मन के रडार सिग्नलों अप्रभावी करने के साथ उन्हें उपयोगी ऊर्जा में बदला जाता है।
दोहरे लाभ वाली इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली
यह नई इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम दो महत्वपूर्ण काम एक साथ संभालती है
- वायरलेस तरीके से सूचना का आदान-प्रदान करना (वायरलेस इन्फॉर्मेशन ट्रांसमिशन)।
- आने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल्स को बिजली में बदलना (एनर्जी हार्वेस्टिंग)।
इससे स्टील्थ विमानों या ड्रोनों को दुश्मन रडार से छिपने के साथ-साथ उसकी ऊर्जा से अपने सिस्टम चलाने की क्षमता मिल सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक 6G नेटवर्क को और अधिक कुशल बनाएगी।
यह ब्रेकथ्रू चीन को 6G की वैश्विक दौड़ में आगे रखने वाला साबित हो सकता है, जहां रडार को खतरा नहीं बल्कि संसाधन बनाया जा रहा है। |
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