search

शिव की नगरी में मोक्ष की कामना से भक्तों ने की चार धाम प्रदक्षिणा यात्रा, शीतलहर पर आस्था पड़ी भारी

LHC0088 Yesterday 20:27 views 999
  

आयोजकों ने इसे धार्मिक आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक बताया।



जागरण संवाददाता, वाराणसी। शिव की नगरी में मोक्ष की कामना से भक्तों ने चार धाम प्रदक्षिणा यात्रा की। इस दौरान शीतलहर पर आस्था भारी पड़ी तो सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पदयात्रा में भागीदारी की।  

रविवार को श्री लाट भैरव काशी यात्रा मण्डल के तत्वावधान में चार धाम पदयात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा में सैकड़ों भक्तों ने कज्जाकपुरा स्थित लाट भैरव मंदिर प्रांगण से संकल्प लेकर यात्रा प्रारम्भ की। भक्तों ने समग्र पाप समूहों को नष्ट करने, संकटों को दूर करने और मोक्ष की कामना की। इस दौरान कड़ाके की ठंड भी श्रद्धालुओं के भक्तिभाव के आगे बेअसर नजर आई। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार महिलाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

चारों युगों के अधिकृत देवताओं का दर्शन करने के लिए भक्तों ने बद्री नारायण, रामेश्वरम, द्वारिकाधीश और जग्गनाथपुरी की ओर प्रस्थान किया। स्कंदपुराण के तीर्थ प्रकरण के अनुसार, देश के चारों दिशाओं में स्थित चार धाम की यात्रा करने से भक्तों का कल्याण होता है। भक्तों ने रामनाम संकीर्तन करते हुए नंगे पांव बद्रीनारायण घाट स्थित बद्रीनारायण, मानमंदिर घाट स्थित रामेश्वरं, अस्सी घाट स्थित जग्गनाथपुरी और शंकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश का दर्शन कर यात्रा का समापन किया।

यात्रा के आयोजक केवल कुशवाहा ने बताया कि प्रत्येक सनातनधर्मी की यह कामना होती है कि वह जीवन में एक बार चार धाम यात्रा अवश्य करें। मोक्षनगरी काशी में 33 कोटि देवी-देवता विराजमान हैं, और यहां समस्त तीर्थों का दर्शन करने का शुभ फल प्राप्त होता है। काशी में चार धाम यात्रा करने पर भी मूल यात्रा के समान ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।

इस यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना भी था। भक्तों ने एकजुट होकर अपने-अपने संकल्पों को साझा किया और एक-दूसरे को प्रेरित किया। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे के साथ मिलकर भक्ति गीत गाए और धार्मिक अनुष्ठान किए, जिससे वातावरण में एक अद्भुत श्रद्धा का संचार हुआ।

चार धाम यात्रा का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करता है, बल्कि यह समाज में एकता और समर्पण की भावना को भी जागृत करता है। इस प्रकार की यात्राएं भक्तों को न केवल आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति भी प्रदान करती हैं।

इस यात्रा में प्रमुख रूप से गोविंद विश्वकर्मा, धर्मेंद्र शाह, आशीष कुशवाहा, उत्कर्ष कुशवाहा, जय प्रकाश राय, रितेश कुशवाहा, आरती राय, आनंद मौर्य, रूपेश वर्मा, मारकुंडी, रुद्र, कृष्णा, आकाश, बबलू, शिवप्रसाद, अनुराग, हरि विट्ठल, कैलाश, रमाकांत आदि सहित बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित थे।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1410K

Credits

Forum Veteran

Credits
141380

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com