कछुओं पर जीपीएस सैटेलाइट ट्रांसमीटर। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा के गंजाम जिले के पोडामपेटा स्थित ऋषिकुल्या नदी के मुहाने के पास दो ओलिव रिडले समुद्री कछुओं पर जीपीएस सैटेलाइट ट्रांसमीटर लगाए गए हैं। यह कदम समुद्र में उनकी गतिविधियों और प्रवास मार्गों को ट्रैक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जानकारी के अनुसार, टैग किए गए दो कछुओं में एक नर और एक मादा है। सैटेलाइट ट्रैकिंग से शोधकर्ताओं को कछुओं के मूल स्थानों की पहचान करने और ओडिशा तट पर पहुंचने से पहले समुद्र में उनकी यात्रा के पैटर्न को समझने में मदद मिलेगी।टैगिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों कछुओं को सुरक्षित रूप से समुद्र में छोड़ दिया गया है।
पिछले वर्षों के विपरीत, जब जीपीएस टैगिंग मुख्य रूप से अंडे देने (नेस्टिंग) के दौरान की जाती थी, इस बार टैगिंग प्रजनन (मेटिंग) चरण के दौरान की गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे खुले समुद्र में कछुओं के व्यवहार और आवाजाही को लेकर अधिक विस्तृत जानकारियां मिलेंगी।
न्यूजीलैंड से आयात किए गए हैं कछुए
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) प्रेम कुमार झा ने कहा कि एक नर और एक मादा Olive Ridley turtles पर जीपीएस सैटेलाइट ट्रांसमीटर लगाए गए हैं और उन्हें समुद्र में छोड़ दिया गया है। इससे अगले एक वर्ष तक उनकी गतिविधियों को ट्रैक किया जा सकेगा, जो उनके संरक्षण में सहायक होगा।
इस अध्ययन में उपयोग किए गए जीपीएस सैटेलाइट ट्रांसमीटर न्यूजीलैंड से आयात किए गए हैं। टैगिंग अभियान देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की तीन सदस्यीय विशेषज्ञ टीम द्वारा किया गया।
डेटा कलेक्शन किया जाएगा
बरहमपुर के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) सनी खोखर ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य खुले समुद्र में ओलिव रिडले कछुओं के प्रवास मार्गों और व्यवहारिक पैटर्न का गहन अध्ययन करना है। एकत्र किया गया डेटा इस संकटग्रस्त समुद्री प्रजाति के संरक्षण के लिए अधिक प्रभावी रणनीतियां तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डीएफओ सनी खोखर ने कहा कि जीपीएस सैटेलाइट ट्रांसमीटर की मदद से ओलिव रिडले कछुओं की गतिविधियों को ट्रैक किया जा सकता है। इस वर्ष हमने नर और मादा दोनों कछुओं पर ट्रांसमीटर लगाए हैं। इस वर्ष जनवरी और फरवरी के दौरान गंजाम जिले के ऋषिकुल्या नदी मुहाने पर रिकॉर्ड 6,98,718 ओलिव रिडले समुद्री कछुओं ने अंडे दिए।
पर्यावरणविदों और वन विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि आगामी मौसम में सामूहिक नेस्टिंग के लिए इससे भी अधिक संख्या में कछुए पहुंचेंगे। सुरक्षित नेस्टिंग वातावरण सुनिश्चित करने के लिए तटीय जलक्षेत्र में कड़ी गश्त की जा रही है, वहीं कई स्वयंसेवी संगठन समुद्र तट को प्लास्टिक मुक्त रखने और कछुओं के लिए अनुकूल बनाने हेतु बीच क्लीनिंग अभियान चला रहे हैं।
गंजाम टर्टल प्रोटेक्शन कमेटी के अध्यक्ष रवींद्र नाथ साहू ने कहा कि ओलिव रिडले कछुओं का प्रजनन काल चल रहा है। इसके बाद सामूहिक नेस्टिंग होगी। उनकी गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए ट्रांसमीटर लगाए गए हैं।
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वरिष्ठ परियोजना सहयोगी मोहित ने कहा कि कछुओं की गतिविधि और उनके जमावड़े की जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने उन्नत तकनीक वाले नए जीपीएस सैटेलाइट ट्रांसमीटर का उपयोग किया है। |
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