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महिलाओं को किसानी के नवाचारों से जोड़ें, बेटियों को करें प्रेरित- राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

Chikheang 2025-10-6 22:36:45 views 694

  महिलाओं को कृषि के नवाचारों से जोड़ें, बेटियों को करें प्रेरित : राज्यपाल।





जागरण संवाददाता, अयोध्या। प्रदेश की राज्यपाल व राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कृषि क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को सराहते हुए कहाकि अब इन्हें नवाचारों से जोड़ने की आवश्यकता है। महिलाएं नवाचार अपनाएंगी तो कृषि उत्पादकता बढ़ेगी।

वह सशक्त बनेंगी, उनकी आय बढ़ेगी। खेती से जुड़ीं महिलाएं बच्चों को पोषणयुक्त खाद्य पदार्थ देकर सुपोषित करती हैं। उन्होंने अभिभावकों को बेटियों को निरंतर प्रेरित करने को कहा। कहा-बेटियां शिक्षित होंगी तो वह दूसरों को पढ़ाएंगी।



वह रविवार को आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 27वें दीक्षा समारोह को अध्यक्ष पद से संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर 28 मेधावियों को विभिन्न स्वर्णपदक और 735 छात्रों को उपाधियां प्रदान की गईं।

राज्यपाल ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहाकि सदैव अपने माता-पिता की मेहनत का सम्मान करना। अपना मेडल उन्हें पहना कर उनका आशीर्वाद लेना। लगातार वृद्धाश्रम खुलने पर चिंता जताते हुए कहाकि माता-पिता की सेवा करना हमारा धर्म है।



कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए तमाम योजनाएं शुरू की हैं। ड्रोन दीदी योजना के माध्यम से उन्हें देशभर में दवा छिड़काव से जोड़ा गया है और फसलों की निगरानी के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कहा, हमारा देश गरीब है। हुनर सबके पास है, परंतु इसका उपयोग कोई नहीं करता है। इसका उपयोग करके देश को आत्मनिर्भर व विकसित बनाना होगा। उन्होंने कहाकि यह देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय है, नैक मूल्यांकन में ए डबल प्लस की रैंकिंग मिली है।



इसके बाद राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क में भी यह विवि शामिल हुआ और उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। अब इसे विश्व रैंकिंग के लिए तैयारी करनी होगी। राज्यपाल ने कहाकि देश के किसान व वैज्ञानिक देश-विदेश में जाकर मार्गदर्शन करें। कृषि के क्षेत्र में भारत सशक्त बनेगा, तभी विकसित भारत का सपना साकार होगा। किसानों की आय बढ़ाने एवं उचित मूल्य दिलाने का प्रयास करना होगा।

कहा, इस विवि की ओर से विकसित 200 प्रजातियां केवल अन्न के दाने नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने वाले बीज हैं। उन्होंने किसानों से जैविक खेती से जुड़ने का आह्वान करते हुए बताया कि उन्हीं के योगदान से आज भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। बाजरे की पैदावार में हम विश्व में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।



चावल और गेहूं की पैदावार में दूसरे नंबर पर हैं। इससे पूर्व कुलाधिपति ने आचार्य नरेंद्रदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात शैक्षणिक शोभा यात्रा में सम्मिलित होकर मंच पर पहुंचीं। राष्ट्रगान व विश्वविद्यालय के कुलगीत से आयोजन प्रारंभ हुआ।

कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने कुलाधिपति के साथ मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र, पेरू के महानिदेशक डा. साइमन हैक व कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख को पौधे भेंटकर स्वागत किया। विवि की ओर से गोद लिए गए परिषदीय विद्यालयों के बच्चों ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण विषय पर भाषण व गीत प्रस्तुत किया। कुलाधिपति ने सभी बच्चों को चाकलेट प्रदान की।



समारोह को मुख्य अतिथि व कृषि राज्य मंत्री ने भी संबाेधित किया। कुलपति ने विवि का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। संचालन मौसम वैज्ञानिक डा. सीताराम मिश्रा ने किया। इस अवसर पर विधायक रामचंद्र यादव, मंडलायुक्त राजेश कुमार, आइजी प्रवीण कुमार, जिलाधिकारी निखिल टी. फुंडे सहित प्रबंध परिषद के सभी सदस्य, सभी अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष और उपाधि व पदक पाने वाले छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।


भारत की 60 प्रतिशत आबादी को आजीविका प्रदान कर रहा कृषि क्षेत्र : डा. हैक

अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र, पेरू के महानिदेशक डा. साइमन हैक ने कहा, जलवायु परिवर्तन अब नहीं रहा दूरस्थ खतरा



जागरण संवाददाता, अयोध्या : अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र लीमा, पेरू के महानिदेशक डा. साइमन हैक ने कहाकि भारतीय कृषि क्षेत्र न केवल देश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी को आजीविका प्रदान कर रहा है, बल्कि यह सांस्कृतिक ताने-बाने में भी गहराई से समाया हुआ है। यह भारत की विविधता व भावना का प्रतिनिधित्व करता है। कहा, यह हमारी अर्थव्यवस्था की आधारशिला है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 17 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। डा. हैक कृषि विवि के दीक्षा समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।



उन्होंने कहाकि हम गहन परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं। अब जलवायु परिवर्तन कोई दूरस्थ खतरा नहीं रहा है, एक रोजमर्रा की सच्चाई है। बढ़ता तापमान, अनियमित वर्षा और मृदा क्षरण खाद्य उत्पादन की बुनियाद को ही चुनौती दे रहे हैं। कहा, हम सब मिलकर चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और प्रगति के पथ पर आत्मविश्वास से बढ़ सकते हैं।

उन्होंने कहाकि 2050 तक 9.1 अरब की विश्व जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के लिए 2025 व 2050 के बीच कुल खाद्य उत्पादन में 50 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि की आवश्यकता होगी। विकासशील देशों में उत्पादन लगभग दोगुना होना चाहिए, जिससे कृषि में संभावित परिवर्तन हो सके। इसके लिए आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन में प्रगति की आवश्यकता है।



वार्षिक अनाज उत्पादन लगभग एक अरब टन बढ़ना चाहिए। मांस उत्पादन में 20 करोड़ टन से अधिक की वृद्धि की जरूरत है। यह 2050 तक कुल 47 करोड़ टन तक पहुंच जायेगा। विकासशील देशों में इस वृद्धि का 72 प्रतिशत हिस्सा शामिल होगा, जो वर्तमान में 58 प्रतिशत है।

कहा, कृषि न केवल लोगों को भोजन उपलब्ध कराती है, बल्कि यह अत्यधिक गरीबी को समाप्त करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के सर्वाधिक शक्तिशाली साधनों में से एक है।



कृषि में वृद्धि, अन्य क्षेत्रों में उत्पन्न समान वृद्धि की तुलना में गरीबी को कम करने में 2-3 गुना अधिक प्रभावी है तथा इसका प्रभाव समाज के सबसे गरीब लोगों पर ज्यादा पड़ता है। भारत अगली कृषि क्रांति का नेतृत्व करने के लिए अद्वितीय स्थिति में है।
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