तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
संवाद सूत्र, बरहज। डाॅक्टरों को धरती का दूसरा भगवान कहा जाता है। मगर कुछ डाॅक्टरों की संवेदनहीनता और आपदा में अवसर तलाशने वालों की वजह से ये पवित्र पेशा भी बदनाम होता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरहज पर बुधवार की दोपहर ऐसा ही दृश्य नजर आया। अलग-अलग गांवों की तीन गर्भवती महिलाएं सीएचसी के ऑपरेशन थिएटर में प्रसव पीड़ा से तड़प रही थीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्वजन का आरोप है कि ऑपरेशन करने वाले डाॅक्टरों ने प्रसूताओं के उनसे सुविधा शुल्क के रुप में पैसों की मांग कर दी। स्वजन के असमर्थता जताने पर डाॅक्टर तीनों प्रसूताओं को ऑपरेशन थिएटर में ही छोड़कर बाहर चले गए। स्वजन डाॅक्टरों से ऑपरेशन के लिए मनुहार करते रहे, लेकिन रात तक डाक्टरों या स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रसूताओं की कोई सुध नहीं ली।
प्रसूताओं की हालत खराब होते देखकर जब स्वजन ने स्वास्थ्य केंद्र में हंगामा करना शुरू किया, तब जाकर तीनों प्रसूताओं का ऑपरेशन हुआ। हालांकि, सीएचसी प्रभारी ने स्वजन के आरोपों का सिरे से खारिज किया है।
थाना क्षेत्र के लक्ष्मीपुर की रहने मनीषा पाल पत्नी डीएम पाल, मोहाव गांव की रहने वाली सुधा देवी पत्नी शैलेश गोड़ और महुई गांव की करीना पत्नी अजीत को प्रसव पीड़ा के बाद स्वजन ने मंगलवार की दोपहर सीएचसी में भर्ती कराया था।
स्वजन का आरोप है कि प्रसूताओं की जांच के बाद चिकित्सकों का कहना था जच्चा-बच्चा को खतरा है, ऑपरेशन करना पड़ेगा। प्रसूताओं के साथ आए स्वजन ने ऑपरेशन के लिए हामी भी भर दी। स्वजन का आरोप हैं कि दोपहर से ऑपरेशन थिएटर में प्रसूताओं को लिटाकर डाॅक्टर चले गए और पैसा मिलने का इंतजार करते रहे थे।
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जब रात 9:30 बजे तक डॉक्टर नहीं पहुंचे, तब प्रसूताओं के साथ आए स्वजन और तीमारदारों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। स्वास्थ्य केंद्र पर हंगामा होता देखकर ड्यूटी पर मौजूद डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के हाथ-पांव फूलने लगे। जल्दी-जल्दी में तीनों प्रसूताओं का ऑपरेशन किया गया, उसके बाद जाकर मामला शांत हुआ।
टइस मामले में प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक बरहज डाॅक्टर अजय पाल ने बताया कि रुपया मांगने का आरोप मिथ्या है। डाॅक्टर विलंब से पहुंचे थे। जिसको लेकर कुछ तीमारदारों से मतभेद हो गया था, जिससे लोग हंगामा करने लगे। सीएचसी पर तीनों प्रसूताओं का आपरेशन कराया गया है। |