देहरादून: आईएमए से पास आउट होकर सैन्य अधिकारी बने युवा

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आइएमए की पासिंग आउट परेड के बाद सैन्य अधिकारी बने हल्द्वानी निवासी पीएस भाटिया अपने स्वजन के साथ। जागरण



जागरण संवाददाता, देहरादून। हल्द्वानी निवासी परविंदर सिंह भाटिया आइएमए से पास आउट होकर सैन्य अधिकारी बन गए। उनके 80 वर्षीय दादा भी पोते को अफसर बनता देखने के लिए पासिंग आउट परेड में पहुंचे। व्हीलचेयर पर बैठे दादा अमरजीत सिंह भाटिया की खुशी का ठिकाना नहीं था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

व्यवसाय से जुटे भाटिया परिवार में पहली बार कोई सेना में देश सेवा के लिए शामिल हुआ तो पूरे परिवार का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। परविंदर के पिता देवेंद्र सिंह भाटिया ने बताया कि वह वर्कशाप चलाते हैं, लेकिन उनका बेटा परविंदर बचपन से सैन्य वर्दी की ओर आकर्षित था।

धीरे-धीरे यह आकर्षण जुनून में बदल गया और फिर क्या, परविंदर ने जेईई का मेन्स और एडवांस दोनों क्लीयर करने के बाद भी इंजीनियरिंग को छोड़ सेना को चुना और एनडीए की परीक्षा दी। उनकी माता प्रभजीत कौर ने कहा कि उनके दो बेटे हैं और अब छोटा बेटा, जो अभी 10वीं में पढ़ता है भी सेना में शामिल होना चाहता है।
मथुरा के पाठक परिवार में भारतीय सेना को समर्पित

देहरादून: मथुरा का रहने वाला पाठक परिवार पूर्ण रूप से सेना को समर्पित है। शनिवार को आइएमए से पास आउट होकर आयुष पाठक सैन्य अधिकारी बन गए। उनके पिता महादेव पाठक भी वायु सेना में अफसर हैं। इसके अलावा उनकी बड़ी बहन निधि पाठक भारतीय सेना में कैप्टन हैं और उनके पति भी वायु सेना में अधिकारी है। यही नहीं लेफ्टिनेंट बने आयुष पाठक की मंगेतर भी सेना में कैप्टन हैं। आइएमए में पीपिंग सेरेमनी के दौरान पूरा परिवार जब सैन्य वर्दी में एक साथ नजर आया तो यह क्षण बेहद गौरवान्वित करने वाला था। आयुष पाठक की मां मंजू पाठक गृहणी हैं और अपने बेटे के कांधों पर सितारे सजाते समय वह भावुक हो उठीं।
देहरादून के आर्यन क्षेत्री बने भारतीय सेना में अफसर

देहरादून: घंघोड़ा निवासी आर्यन क्षेत्री ने भारतीय सेना में अफसर बनकर अपने परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी से प्रशिक्षण पूरा कर वे सेना में कमीशंड अफसर बने। आर्यन के पिता अर्जुन सिंह भारतीय सेना में सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आर्यन ने बताया कि उन्हें सेना में जाने की प्रेरणा अपने पिता से ही मिली, जिसके चलते उन्होंने इस लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत की। आर्यन की प्रारंभिक शिक्षा दून वैली पब्लिक स्कूल, देहरादून से हुई, जहां से उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने 12वीं की शिक्षा रानीखेत से प्राप्त की। आगे चलकर एनडीए की परीक्षा पास कर वे आइएमए पहुंचे।
फुटबाल कोच पिता का सपना बेटे की मेहनत से हुआ पूरा

देहरादून: हल्द्वानी के मंगल पड़ाव निवासी फुटबाल कोच अमित कुमार का सपना आखिरकार साकार हो गया। उन्होंने अपने बेटे आयुष्मान सिंह को सेना की राह पर आगे बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और बेटे ने भी पिता की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए भारतीय सेना में अफसर बनकर परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया। आयुष्मान सिंह भारतीय सैन्य अकादमी से प्रशिक्षण पूरा कर शनिवार को पास आउट हुए और लेफ्टिनेंट के रूप में सेना में शामिल हुए। उनके पिता अमित कुमार डीएसबी कैंपस नैनीताल में फुटबाल कोच के पद पर कार्यरत हैं। मां मीनाक्षी गृहिणी हैं, जबकि दादी निर्मला एक सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य हैं। आयुष्मान की प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने 12वीं की पढ़ाई सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से पूरी की। इसके पश्चात एनडीए में चयन होने पर वे आइएमए पहुंचे, जहां कठिन प्रशिक्षण के बाद उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।
मास्टर पिता के बेटे ने मार लिया मैदान

देहरादून: बागेश्वर निवासी मास्टर मोहन चंद्र जोशी के पुत्र शुभम जोशी ने सैन्य अफसर बनकर पिता का सपना पूरा किया। शुभम के नाना सीआरपीएफ में सेवाएं दे चुके हैं। जबकि, ताऊ भी एयरफोर्स में तैनात रहे। शुभम के पिता भले ही शिक्षण के क्षेत्र में चले गए, लेकिन उनके मन में भी सेना में जाकर देश सेवा की भावना रही, जो कि बेटे के माध्यम से आज फलीभूत हो गई।
देहरादून के प्रवीन बिष्ट को आर्मी स्कूल में सेना ने किया आकर्षित

देहरादून: देहरादून के क्लेमेनटाउन निवासी प्रवीन बिष्ट भी आइएमए से लेफ्टिनेंट बनकर पास आउट हुए। मूल रूप से चमोली के रहने वाले प्रवीन बिष्ट ने स्कूली शिक्षा दून में ही आर्मी स्कूल से ग्रहण की। जहां का वातावरण और सैनिक परिवारों के संपर्क में रहने से प्रवीन को सैन्य अधिकारी बनने की प्रेरणा मिली। इसके बाद कुछ वर्ष पूर्व प्रवीन के बड़े भाई अरविंद बिष्ट भी सेना में बतौर राइफलमैन भर्ती हो गए। सीडीएस के माध्यम से प्रवीन ने आइएम की राह प्रशस्त की और अब अफसर बन गए। बेटे को अफसर बनता देख मां मंजू देवी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
आयुष ने वर्दी की ललक को बनाया जुनून, अधिकारी बनकर मिला सुकून

देहरादून: टिहरी निवासी आयुष उनियाल ने जब से होश संभाला वह सैन्य वर्दी के दीवाने रहे। बचपन में ही उन्होंने ठान लिया था कि सेना के अफसर की वर्दी अपने तन पर पहनेंगे। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और ताऊ जीतराम उनियाल, जो कि भारतीय सेना में हैं से भी उन्हें प्रेरणा मिली। आयुष के पिता विशाल उनियाल वर्कशाप चलाते हैं और माता दरबा देवी गृहणी हैं। आयुष के भाई आकर्ष डाक्टरी की पढाई कर रहे हैं। आयुष ने एनडीए के जरिए अफसर बनने की राह तय की।
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