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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एम्स के विभिन्न शहरों में किए गए एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि स्कूली बच्चे नशीले पदार्थों और धूम्रपान की आदतें अपना रहे हैं और शराब का सेवन कर रहे हैं। इन हानिकारक पदार्थों के सेवन की औसत आयु लगभग 13 वर्ष पाई गई है, जो प्राथमिक विद्यालय स्तर से ही शुरुआती हस्तक्षेप की जरूरत को दर्शाती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अध्ययन के निष्कर्षों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि जैसे-जैसे छात्र उच्च कक्षाओं में जाते हैं, मादक पदार्थों का सेवन बढ़ता है। कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्रों द्वारा नशीले पदार्थों का सेवन कक्षा आठवीं के छात्रों की तुलना में दोगुना है।
सर्वे में कौन-कौन से शहरों के छात्रों को किया गया शामिल?
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के राष्ट्रीय नशा मुक्ति उपचार केंद्र की डा. अंजू धवन के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन को इस महीने \“नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ इंडिया\“ में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन में विभिन्न क्षेत्रों में किशोरों द्वारा मादक पदार्थों के सेवन का विश्लेषण किया गया है। इस सर्वेक्षण में चंडीगढ़, दिल्ली, जम्मू, लखनऊ, बेंगलुरु, डिब्रूगढ़, हैदराबाद, इंफाल, मुंबई और रांची के 5,920 छात्रों को शामिल किया गया।
मई 2018 से जून 2019 के बीच एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, नशीले पदार्थों का सेवन करने की औसत आयु 12.9 वर्ष थी। कुल मिलाकर, 15.1 प्रतिशत प्रतिभागियों ने हमेशा किसी न किसी नशीले पदार्थ का सेवन करने की सूचना दी।
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