महाठग रवींद्रनाथ सोनी पर दो और मुकदमे दर्ज, जांच के लिए देहरादून लेकर पहुंची SIT

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पुलिस हिरासत में महाठग रवींद्रनाथ।



जागरण संवाददाता, कानपुर। दिल्ली के महाठग रवींद्रनाथ सोनी के खिलाफ मंगलवार रात कोतवाली में धोखाधड़ी के दो और मुकदमे दर्ज किए गए। ये मुकदमे भी भारतीय मूल व दुबई के दो कारोबारियों ने दर्ज कराए हैं।

वहीं, रिमांड में ठग से पांच घंटे की पूछताछ और बयान दर्ज करने के बाद एसआईटी व क्राइम ब्रांच के 15 पुलिसकर्मी उसे लेकर बुधवार शाम 725 किमी दूर देहरादून पहुंचे। यहां एक बंद घर को खुलवाकर छानबीन की गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दिल्ली के मालवीय नगर निवासी रवींद्रनाथ सोनी ने दुबई में बैठकर भारत समेत 10 देशों के लोगों से 970 करोड़ से ज्यादा की ठगी की थी। मंगलवार को पुलिस ने उसका रिमांड लिया और कोतवाली पहुंची। एसआईटी ने उसे पीड़ितों के सामने बैठाकर पांच घंटे तक 100 से ज्यादा सवाल पूछे।

उसके बयानों की वीडियोग्राफी भी कराई गई। इसमें उसने अपनी पांच कंपनियों और चार साझेदारों (हितेश, विभाष, धरवेश और गुरमीत) के नाम बताए। इन कंपनियों में लोगों से मुनाफे का लालच देकर निवेश कराया जाता था। हालांकि, यह भी दावा किया कि उसने मई 2024 में कंपनी छोड़ दी थी लेकिन एसआईटी की जांच में यह बात झूठ निकली।

कंपनी में उसके बाद भी निवेश हो रहे थे। पुलिस के अनुसार, आरोपित अब तक दुबई व अन्य देशों के लोगों से 970 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर चुका है। इसमें दो अभिनेताओं समेत छह बड़े कारोबारी पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल से मिल चुके हैं।

दुबई के विशाल नितिन कोंढिया, अबरार सिद्दकी और अबू धाबी के शहनवाज उस्मान कोया ने महाठग रवींद्रनाथ के खिलाफ कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद मंगलवार को प्रदीप कुमार सिंह और विशाल सिंह ने भी निवेश के नाम पर धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

पुलिस को मोबाइल फोन की तलाश, मिल सकते हैं अहम सुराग

पुलिस अधिकारी के मुताबिक, मंगलवार रात लगभग साढ़े तीन बजे एसआईटी में शामिल एसीपी कोतवाली आशुतोष सिंह, थाना प्रभारी जगदीश पांडेय के अलावा एसआईटी व क्राइम ब्रांच के 15 पुलिसकर्मी ठग रवींद्रनाथ को लेकर कारों से देहरादून के लिए निकले।

टीम बुधवार देर शाम वहां पहुंची तो रवींद्रनाथ उन्हें देहरादून के एक घर में ले गया। यहां उसकी कंपनियों के दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खंगाले गए। सूत्रों के अनुसार, एसआईटी को उसके एक मोबाइल फोन की तलाश है, जिसमें विभिन्न देशों के लोगों और साझेदारों के संपर्क नंबर व अन्य साक्ष्य होने की संभावना है।

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ये दो नए मुकदमे हुए दर्ज

मूलरूप से महाराष्ट्र के ईस्ट कल्याण ठाणे रीजेंसी सर्वम टिटवाला निवासी विशाल सिंह संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शारजाह में रहते हैं। वहां रवींद्रनाथ की कंपनी ब्लूचिप के एजेंट अमित शर्मा ने एक बैंक कर्मचारी के माध्यम से उनसे संपर्क किया।

एक मई 2023 को उसके कहने पर 9.3 लाख रुपये कंपनी में निवेश किया। यह निवेश उन्होंने दुबई में एक इवेंट में शामिल होने के बाद किया। इवेंट में रवींद्रनाथ भी मौजूद था। उसने खुद को कंपनी का मालिक और अभिनेता सोनू सूद ने खुद को ब्रांड एंबेसडर बताया था।

उनसे हर माह मुनाफा मिलने का वादा किया गया था। इसके लिए चेक और कांट्रेक्ट एग्रीमेंट भी किया गया। शिकायतकर्ता विशाल के अनुसार, उन्होंने पर्सनल लोन लिया और अगस्त 2023 को ब्लूचिप कंपनी में 45 लाख रुपये और अक्टूबर 2023 को 30.6 लाख रुपये निवेश किया।

इस तरह उन्होंने कुल 84.90 लाख रुपये कंपनी में लगा दिए, लेकिन दिसंबर 2023 में रिटर्न मिलना बंद हो गया। इस बीच कंपनी में साझेदार गुरमीत कौर की तरफ से ई-मेल आया। इसमें बताया गया कि ऑफिशियल ऑडिट की वजह से कंपनी निगरानी में है और भुगतान हर तीन माह में होगा।

अगले माह फिर गुरमीत का ई-मेल आया कि ब्याज नहीं मिलेगा बल्कि निवेश की गई रकम टोकन के रूप में क्रेडिट की जाएगी, क्योंकि एग्रीमेंट की शर्त का पालन नहीं किया गया। जनवरी 2024 में कंपनी के ऑफिस गए तो शाश्वत सिंह राजपूत, दरवेश, मो. कैशी व विभाष त्रिवेदी नाम के लोग मिले। उन्होंने रकम देने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा, लेकिन बाद में कंपनी बंद हो गई।

लोन लेकर ब्लूचिप कंपनी में 35 लाख का किया था निवेश

मूलरूप से भदोही निवासी कारोबारी प्रदीप कुमार सिंह के मुताबिक, वह वर्तमान में अबू धाबी में रहते हैं। उन्होंने 15 नवंबर 2023 में ब्लूचिप कामर्शियल ब्रोकर कंपनी में 91.750 यूएई दिरहम (22 लाख रुपये) का निवेश किया था। कंपनी के निदेशक रवींद्रनाथ सोनी, उसके साथी हितेश बलवा, गुरमीत कौर, शाश्वत सयिंह आदि ने तीन प्रतिशत प्रतिमाह के रिटर्न का वादा किया था।

उन्होंने ये रकम अपनी जमापूंजी के अलावा लोन लेकर निवेश की थी। पहला रिटर्न फरवरी 2024 में समय पर आया। इसके बाद और निवेश के लिए कई प्रलोभन दिए गए। इस पर उन्होंने फिर लोन 13 लाख रुपये और निवेश कर दिए।

इस तरह कुल 35 लाख रुपये कंपनी में निवेश किए। इस बीच, मई 2024 में पता चला कि कंपनी बंद कर दी गई है। एक दिसंबर 2025 को पता चला कि रवींद्रनाथ को कानपुर कमिश्नरेट पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जिसके बाद वह यहां आए और कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया।

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