यहां किसी भी समय आग की घटना एक भीषण अग्निकांड के रूप में बदलकर कई मासूमों की जान लील सकती है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। गोवा के क्लब में भीषण अग्निकांड से जम्मू प्रशासन को सबक लेने की जरूरत है। जम्मू में हालांकि नाइट क्लब तो नहीं है लेकिन यहां के पुराने शहर की तंग गलियों में चल रहे होटल, रेस्तरां व लाज आग से खेल रहे हैं। इनमें आग लगने की घटनाओं से निपटने के पर्याप्त प्रबंध नहीं हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ये पूरी तरह से भगवान भरोसे चलाए जा रहे हैं। कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां आग लगने की सूरत में अग्निशमन दल का पहुंचना भी मुश्किल है। सवाल यह उठता है कि इनको नियमों की धज्जियां उड़ाकर लोगों की जान से खिलवाड़ करने की किसने पूरी छूट दे रखी है। जम्मू जिले में पर्यटन विभाग के पास पंजीकृत होटलों की कुल संख्या 301 है जिनमें से 254 होटल एवं लाज की श्रेणी में आते हैं।
इन होटल एंड लाज में से 218 के करीब होटल एवं लाज शहर के ज्यूल चौक, रेजिडेंसी रोड, गुम्मट, प्रेम नगर, तालाब खट्टीकां, गुज्जर नगर आदि क्षेत्रों में हैं, जो ज्यादातर तंग एवं संकरी गलियों में हैं। अगर भविष्य में कभी इन होटल में आग लगने की कोई अनहोनी घटना घट जाए तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का घटनास्थल पर पहुंचना नामुमकिन होगा।
हालांकि, फायर एंड इमरजेंसी विभाग के पास आग पर काबू पाने के लिए पर्याप्त मात्रा में अग्निशमन संयंत्र उपलब्ध हैं, लेकिन तंग गलियों की बेबसी के आगे यह सभी इंतजाम नाकाफी सिद्ध होते हैं। अधिकतर होटल एवं लाज में तो अग्निशमन संयंत्र तक नहीं लगे हैं। इतना ही नहीं पुराना शहर तो तंग गलियों में बसा है जहां किसी भी समय आग की घटना एक भीषण अग्निकांड के रूप में बदलकर कई मासूमों की जान लील सकती है।
एक ही हाइड्रेंट चालू
पुराने शहर में 60 के दशक में 13 जगह हाइड्रेंट स्थापित किए गए। इनमें से अब मात्र एक ही हाइड्रेंट चालू अवस्था में है। शहर के मुबारक मंडी, कच्ची छावनी, ज्यूल चौक, रेजीडेंसी रोड, परेड सहित अन्य क्षेत्रों में हाइड्रेंट स्थापित किए गए थे। सड़क निर्माण विभाग व पीएचई विभाग के बीच आपसी तालमेल की कमी की वजह से समय के साथ-साथ तारकोल बिछाने के कारण यह जमीन के नीचे दफन होकर रह गए हैं। नागरिक सचिवालय में स्थित इस समय एक ही हाइड्रेंट चालू अवस्था में है। अब हाल ही में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के रेजीडेंसी रोड पर नए सिरे से हाइड्रेंट स्थापित किए गए है।
मानदंड का पालन नहीं
किसी भी होटल और गेस्ट हाउस के निर्माण में सबसे पहले कम से कम 40 हजार लीटर का स्टोरेज टैंक और कम से कम कम 5,000 लीटर का टैरेस टैंक होना चाहिए। इसके अलावा पोर्टेबल अग्निशमन संयंत्र, हर एक मंजिल में होस रील होस होनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर इसे तुरंत हाइड्रेंट से जोड़कर आग पर काबू पा जा सके लेकिन इनका कठोरता से पालन नहीं होता।
विभाग मौजूद स्टाफ और फायर टेंडर से आग पर काबू पाने में पूरी तरह से सक्षम है। आग लगने की सूचना मिलते ही तुरंत फायरमैन फायर टेंडर सहित घटनास्थल पर पहुंच जाते हैं लेकिन अक्सर जब तंग गलियों में स्थित किसी स्थान में आग लग जाती है तो उनके लिए कार्य चुनौतीभरा हो जाता है। -जफ्फर इकबाल, डिवीजनल फायर आफिसर जम्मू
अग्निशमन विभाग के निर्देश पर हर होटल व लाज में अग्निशमन संयंत्र लगाए गए हैं। पुराने होटल एवं लाज में अग्निशमन संयंत्रों की कमी हो सकती है लेकिन नए होटल एवं लाज में ऐसा कुछ भी नहीं है। सभी जगह पर आग पर काबू पाने वाले संयंत्र लगाए गए हैं ताकि समय रहते इन पर काबू पाया जा सके। -पवन गुप्ता, प्रधान आल जम्मू होटल एंड लाज एसोसिएशन |