नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण की स्थिति में खास सुधार नहीं दिख रहा।
जागरण संवाददाता, नोएडा। ग्रेप लागू होने के बाद भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण की स्थिति में खास सुधार नहीं दिख रहा है। प्राधिकरण की ओर से निर्माण स्थलों पर नियमित मानिटरिंग, धूल नियंत्रण अभियान, एंटी-स्माग गन के संचालन और भारी जुर्माने के बावजूद शहरों की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शनिवार को भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहे। शनिवार को नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक 348 दर्ज किया गया, जबकि ग्रेटर नोएडा का 326 दर्ज किया गया। लगातार बढ़ता प्रदूषण अब सीधे लोगों की सेहत पर असर डालने लगा है। सांस और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं के मामले बढ़ रहे हैं, जिसे लेकर शहरवासी बेहद चिंतित हैं।
नोएडा के सेक्टर-125 में शनिवार को शहर की सबसे खराब हवा दर्ज की गई, जहां एक्यूआइ 378 तक पहुंच गया। सेक्टर 110 में एक्यूआइ 366 और सेक्टर 62 में 299 दर्ज हुआ। उधर ग्रेटर नोएडा में नालेज पार्क-2 का एक्यूआइ 298 और नालेज पार्क-5 का 353 रहा, जो गंभीर श्रेणी के करीब है।
हालांकि प्राधिकरण ने शुक्रवार को ग्रेप नियमों का उल्लंघन करने पर 15 लाख रुपये तक के जुर्माने भी लगाए थे। इसके बावजूद कई स्थानों पर निर्माण गतिविधियां जारी मिलने से हालात और बिगड़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि धूल, वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक गतिविधियां और मौसम की स्थिरता प्रदूषण को और बढ़ा रही हैं
दिल्ली से भी खराब हुई नोएडा की हवा
शनिवार को दिल्ली का एक्यूआइ 330 दर्ज किया गया, जबकि नोएडा 348 के साथ उससे भी आगे निकल गया। यह स्थिति साफ दर्शाती है कि गौतमबुद्ध नगर में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर और कड़े कदम उठाने की जरूरत है।शहरवासी अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रशासन जल्द प्रभावी कदम उठाए, ताकि हवा में कुछ सुधार हो सके और बढ़ते स्वास्थ्य संकट पर लगाम लगाई जा सके। |