Right to Disconnect Bill 2025: लोकसभा में शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की सांसद सुप्रिया सुले ने राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025 पेश किया, जिसमें नौकरीपेशा लोगों को काम के घंटों के बाहर ऑफिस कॉल और ईमेल का जवाब न देने का अधिकार देने की बात कही गई है। वहीं दूसरी तरफ इस बिल को लेकर कर्मचारियों में दिलचस्पी ज्यादा बढ़ गई है।
बता दें कि सुप्रिया सुले द्वारा पेश किए गए इस बिल ने एक अलग ही बहस छेड़ दी है, क्योंकि आज के दौर में वर्क लाइफ बैलेंस सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है। लोग फैमिली से ज्यादा ऑफिस के कामों में समय व्यतित कर रहे हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसे ज्यादातर बिल सरकार की प्रतिक्रिया के बाद वापस ले लिए जाते हैं।
राइट टू डिसकनेक्ट बिल 2025 में क्या है?
संबंधित खबरें [/url]
[url=https://hindi.moneycontrol.com/india/tmc-leader-humayun-kabir-said-i-will-be-arrested-but-i-will-not-stop-who-is-adamant-on-laying-the-foundation-stone-of-the-babri-masjid-article-2303420.html]पार्टी से निष्कासन के बाद भी बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखने पर अड़े TMC नेता हुमायूं कबीर, बोले - \“गिरफ्तार हो जाऊंगा, लेकिन रुकूंगा नहीं\“ अपडेटेड Dec 06, 2025 पर 11:55 AM [/url]
[url=https://hindi.moneycontrol.com/elections/vidhan-sabha-election/bihar/party-eager-for-nitish-kumar-s-son-nishant-to-join-politics-says-jdu-s-sanjay-kumar-jha-article-2303381.html]Nitish Kumar: \“पार्टी चाहती है कि वह राजनीति में आएं!\“ क्या CM नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार होंगे अगले वारिस? अपडेटेड Dec 06, 2025 पर 10:56 AM [/url]
[url=https://hindi.moneycontrol.com/india/railway-is-recruiting-for-1-2-lakh-posts-railway-minister-ashwini-vaishnav-told-which-posts-are-being-recruited-article-2303385.html]Railway 1.2 लाख पदों पर कर रहा भर्तियां, रेल मंत्री आश्विनी वैष्णव ने बताया किन पदों पर हो रही हैं भर्तियां? अपडेटेड Dec 06, 2025 पर 10:37 AM
सुप्रिया सुले द्वारा पेश किए गए राइट टू डिसकनेक्ट बिल में एम्प्लॉय वेलफेयर अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव शामिल है। यह अथॉरिटी मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों के अधिकारों की रक्षा करेगा और कंपनियों में एक संतुलित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेगा। अगर बिल पारित होता है, तो कर्मचारी यह कह सकेंगे कि वे ऑफिस समय के बाहर किए गए कॉल या ईमेल का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हैं।
वहीं, इस बिल में यह भी कहा गया है कि कंपनियों को भी साफ करना होगा कि ऑफिस टाइम खत्म होते ही कर्मचारी का निजी समय शुरू हो जाता है और उस दौरान किसी भी तरह का वर्क कम्युनिकेशन बाध्यकारी नहीं होगा। छुट्टियों पर भी यही नियम लागू होगा।
दूसरे देशों में पहले से लागू है ऐसा नियम
ऑफिस वर्क के बाद कर्मचारियों को आराम देने का यह विचार नया नहीं है। कई देश वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर पहले से काफी सख्त हैं और वहां यह कानून बाकायदा लागू है।
- फ्रांस में 2017 से राइट टू डिसकनेक्ट कानून लागू है। जिसमें कहा गया है कि 50 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों को यह तय करना होता है कि काम के बाद ईमेल और कॉल का जवाब देना जरूरी नहीं होगा।
- स्पेन ने 2021 में भी कुछ ऐसा ही नियम बनाया है, जिसके तहत कर्मचारियों को ऑफिस टाइम के बाद डिजिटल कम्युनिकेशन का जवाब देने से छूट दी गई।
- बेल्जियम में यह अधिकार पहले सरकारी कर्मचारियों को दिया गया था, बाद में इसे प्राइवेट सेक्टर में भी लागू किया गया। अब यह नियम बेल्जियम में 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों पर लागू होता है।
- पुर्तगाल में राइ टू रेस्ट नाम से बिल पेश किया गया। जिसमें कहा गया कि कंपनियों को कानूनी तौर पर काम खत्म होने के बाद कर्मचारियों को मैसेज या कॉल करने से रोका गया है।
इन देशों का मानना है कि लगातार लंबे समय तक ऑफिस का काम करना और हर समय डिजिटल रूप से जुड़े रहना कर्मचारियों की मानसिक सेहत, ऊर्जा और प्रोडक्टिविटी पर बुरा प्रभाव डालता है। इसी वजह से डिसकनेक्ट टाइम को कानूनी सुरक्षा दी गई है। ताकि नौकरीपेशा लोग काम के बाद बिना किसी दबाव के आराम कर सकें।
भारत में यह बिल कितनी दूर जाएगा
हालांकि, भारत में ऐसे बिल तो पेश कर दिए जाते हैं, लेकिन ये कानून नहीं बाते। लेकिन सुप्रीय सुले द्वारा उठाया गया यह मुद्दा बेहद खास और संवेदनशील है, क्योंकि कोविड के बाद से वर्क फ्रॉम होम के नाम पर कर्मचारियों से वर्किंग आवर्स से ज्यादा काम लिया गया और काम के बाद भी लगातार ऑनलाइन रहने की मजबूरी ने कर्मचारियों को काफी थका दिया। ऐसे में यदि सरकार इस पर व्यापक चर्चा शुरू करे तो यह भारत की वर्क कल्चर में बड़ा बदलाव ला सकता है। साथ ही यह बिल इस दौर में मिल का पत्थर भी साबित हो सकता है।
फिलहाल राइट टू डिसकनेक्ट बिल पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार है। लेकिन यह साफ है कि यह मुद्दा भारत में भी उतना ही जरूरी है जितना अन्य देशों में है, जहां कर्मचारियों को आराम, निजी समय और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कानून तक बनाए जा चुके हैं।
इसके अलावा, कई सांसदों ने भी अलग-अलग बिल पेश किए। जैसे-
- मेन्स्ट्रुअल बेनिफिट्स बिल, 2024 - कांग्रेस सांसद कडियम काव्या
- पत्रकार सुरक्षा बिल: निर्दलीय सांसद विशाल पाटिल
- मृत्युदंड समाप्ति संबंधी बिल- DMK सांसद कनिमोझी करुणानिधि
यह भी पढ़ें: Nitish Kumar: \“पार्टी चाहती है कि वह राजनीति में आएं!\“ क्या CMनीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार होंगे अगले वारिस? |