चार दशक बाद गोगुड़ा पहाड़ी पर सुरक्षा बलों का कब्जा (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चार दशकों से माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाने के रूप में पहचानी जाने वाली गोगुड़ा पहाड़ी पर आखिरकार सुरक्षा बलों ने नया कैंप स्थापित कर दिया है। 675 मीटर ऊँचे इस दुर्गम पहाड़ में गांव तक पहुंचने के लिए केवल एक पगडंडी थी, जहां से ग्रामीण वर्षों से पैदल आवाजाही करने को मजबूर थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्रशासन और सुरक्षा बलों के लिए यह इलाका हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन लगातार 18 दिनों तक मुश्किल चढ़ाई में रास्ता तैयार करने के बाद जवान आखिरकार गोगुड़ा की चोटी तक पहुंचने में सफल रहे।
पहाड़ी पर कदम रखते ही चार ब्लास्ट, तीन जवान घायल
सुरक्षा बलों के गोगुड़ा पहुंचते ही माओवादियों ने चार आइईडी ब्लास्ट कर दिए, जिसमें तीन जवान घायल हो गए। इसके बावजूद जवान पीछे नहीं हटे और लगातार प्रयास करते हुए कच्चे रास्ते को मजबूत बनाकर अंततः नया कैंप स्थापित किया।
इसके बाद सड़क को ठीक करने में एक माह का समय लगा। गोगुड़ा गांव में 7 पारे और ढाई सौ से अधिक परिवार रहते हैं। खड़ी पहाड़ी, गहरी खाई और घने जंगलों के कारण यह क्षेत्र पूरी तरह माओवादियों के कब्जे में था। नतीजतन ग्रामीण आज भी नाला का पानी पीने और मीलों पैदल चलकर स्वास्थ्य व राशन सेवाएं प्राप्त करने को मजबूर थे।
त्रिपोलिंग से नए कैंप तक-इतिहास बदलने की कहानी
अविभाजित दंतेवाड़ा जिले के समय यहां मतदान पार्टी तक नहीं पहुँच पाई थी। माओवादियों के हमले के कारण जवानों को वापस लौटना पड़ा था। बाद में संकल्पित प्रयासों के बावजूद पुलिस अधीक्षक स्व. राहुल शर्मा भी अंतिम गांव तक नहीं पहुँच पाए थे। लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं। सुरक्षा बलों ने कठिनतम चुनौतियों को पार करते हुए गोगुड़ा में कैंप स्थापित कर दिया है।
जहां डर था, वहीं अब उम्मीदों की किरण कैंप खुलने से ग्रामीणों में नई ऊर्जा और विश्वास जगा है। भले ही भय के कारण उन्होंने प्रारंभ में विरोध जताया, लेकिन अब वे विकास की उम्मीद लगाए हुए हैं। गांव तक शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और पेयजल जैसी सुविधाएँ पहली बार आसानी से पहुँच सकेंगी।
सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने कहा कि गोगुड़ा लंबे समय से माओवादियों का सुरक्षित ठिकाना था। हमारे जवानों ने एंबुश, आईईडी और दुर्गम पहाड़ी जैसी चुनौतियों को पार करते हुए कैंप स्थापित किया है। अब माओवाद अभियान और मजबूत होगा, और आसपास के माओवादी आत्मसमर्पण भी कर रहे हैं।
विकास का नया अध्याय शुरूसुरक्षा बलों की मौजूदगी से गोगुड़ा पहाड़ी में पहली बार शासन की योजनाएँ सुचारू रूप से पहुंच पाएंगी।कैंप खुलने के साथ ही चार दशक बाद इस क्षेत्र में डर की जगह उम्मीदों ने जन्म ले लिया है। |