cy520520 • 2025-12-4 14:47:21 • views 554
Vladimir Putin India Visit: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत आ रहे हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और दोनों देशों के बीच होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। कुछ महीने पहले अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल खरीद बंद करने का दबाव बढ़ा दिया था। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए रूस और यूक्रेन के साथ बातचीत कर रहा है। पुतिन और पीएम मोदी की यह बैठक इन सभी घटनाक्रमों के बीच हो रही है।
भारत और रूस दशकों से गहरे सहयोगी रहे हैं, और पुतिन तथा मोदी के बीच गर्मजोशी भरा संबंध है। आइए जानते हैं कि इस मुलाकात के क्या है मायने और किन बातों पर होगी दुनिया की नजर।
रूस के लिए भारत का महत्व: अर्थव्यवस्था, ऊर्जा और भू-राजनीति
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रूस के लिए भारत के साथ संबंध कई कारणों से महत्वपूर्ण हैं:
विशाल और बढ़ता बाजार: लगभग डेढ़ अरब की आबादी और 8% से अधिक आर्थिक वृद्धि के साथ, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। यह रूसी वस्तुओं और संसाधनों, विशेष रूप से तेल के लिए एक आकर्षक बाजार है।
ऊर्जा की आपूर्ति: यूक्रेन पर आक्रमण से पहले, भारत के तेल आयात का केवल 2.5% हिस्सा रूस से आता था, लेकिन पश्चिमी प्रतिबंधों और रूसी तेल पर भारी छूट के कारण यह आंकड़ा बढ़कर 35% हो गया था। ट्रंप प्रशासन द्वारा अक्टूबर में भारतीय वस्तुओं पर 25% एक्सट्रा टैरिफ लगाने के बाद भारत के रूसी तेल के ऑर्डर गिर गए हैं। पुतिन की मुख्य प्राथमिकता भारत को तेल खरीदना जारी रखने के लिए मनाना होगा।
हथियारों की बिक्री: सोवियत काल से ही भारत को हथियार बेचना रूस के लिए प्राथमिकता रही है। पुतिन की यात्रा से पहले ऐसी खबरें थीं कि भारत अत्याधुनिक रूसी लड़ाकू जेट और वायु रक्षा प्रणालियां खरीदने की योजना बना रहा है।
पश्चिमी देशों को संदेश: क्रेमलिन यह दिखाना चाहता है कि यूक्रेन युद्ध को लेकर उसे अलग-थलग करने के पश्चिमी प्रयास विफल रहे हैं। मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ पुतिन की मुलाकात की तस्वीरें यह स्पष्ट संदेश देती हैं कि मॉस्को के शक्तिशाली सहयोगी हैं जो \“बहु-ध्रुवीय विश्व\“ की अवधारणा का समर्थन करते हैं।
भारत के लिए पुतिन का दौरा: रणनीतिक स्वायत्तता की परीक्षा
पीएम मोदी और भारत की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के लिए पुतिन का दौरा एक महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है:
रणनीतिक स्वायत्तता: यूक्रेन युद्ध पर पश्चिमी सरकारों के दबाव के बावजूद, PM मोदी ने हमेशा संवाद के माध्यम से समाधान पर जोर देकर भारत की \“रणनीतिक स्वायत्तता\“ का प्रदर्शन किया है। हालांकि, ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद, अमेरिका-भारत संबंध टैरिफ गतिरोध के कारण अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।
कूटनीतिक संतुलन: पुतिन का यह दौरा भारत की भू-राजनीतिक स्वायत्तता की परीक्षा होगा। मोदी को यह सुनिश्चित करना होगा कि रूस के साथ संबंध मजबूत करते हुए भी, अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता और यूरोपीय सहयोगियों (जैसे जर्मनी, फ्रांस और यूके, जिन्होंने हाल ही में रूस की यूक्रेन नीति की आलोचना की थी) के साथ अपने संबंधों को नुकसान न पहुंचे।
व्यापार असंतुलन को ठीक करना: दोनों सहयोगियों के बीच दशकों से आर्थिक संबंध अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। हालांकि, मार्च 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर $68.72 बिलियन हो गया, जिसका मुख्य कारण रियायती रूसी तेल खरीद थी, लेकिन इससे व्यापार संतुलन पूरी तरह रूस के पक्ष में झुक गया है। मोदी इस असंतुलन को ठीक करना चाहेंगे।
रक्षा आपूर्ति में गारंटी: भारत की रक्षा आयात में रूसी हिस्सेदारी हाल के वर्षों (2020-2024) में घटी है, लेकिन भारतीय सेना अभी भी सुखोई-30 जेट और S-400 वायु रक्षा प्रणाली जैसे रूसी प्लेटफार्मों पर बहुत अधिक निर्भर है। चूंकि रूस प्रतिबंधों और युद्ध के कारण कलपुर्जों की कमी का सामना कर रहा है (S-400 की डिलीवरी कथित तौर पर 2026 तक टल गई है), मोदी पुतिन से आपूर्ति की समयसीमा पर गारंटी मांगेंगे। भारत उन्नत S-500 सिस्टम और Su-57 फाइटर जेट भी खरीदना चाहता है।
गैर-रक्षा व्यापार को बढ़ावा: PM मोदी रूसी बाजार में भारतीय उत्पादों के लिए जगह बनाना चाहते हैं, खासकर उपभोक्ता-उन्मुख श्रेणियों में (जैसे स्मार्टफोन, झींगा, कपड़े), ताकि व्यापार निर्भरता केवल तेल और रक्षा तक सीमित न रहे।
दिल्ली स्थित थिंक-टैंक GTRI के अनुसार, \“पुतिन की यात्रा शीत युद्ध की कूटनीति की पुरानी वापसी नहीं है। यह जोखिम, आपूर्ति श्रृंखला और आर्थिक सुरक्षा पर एक बातचीत है। एक मामूली परिणाम तेल और रक्षा आपूर्ति सुरक्षित करेगा इसके साथ ही इसका महत्वाकांक्षी परिणाम क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को नया रूप देगा।\“ |
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