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बिहारशरीफ में AQI 170 के पार, मास्क के बिना बाहर निकलना खतरनाक

cy520520 2025-12-3 04:37:40 views 554

  

बिहारशरीफ में वायु गुणवत्ता सूचकांक 170 के पार। प्रतीकात्मक तस्वीर



जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ। बिहारशरीफ की हवा एक बार फिर गंभीर खतरे की ओर बढ़ रही है। हालिया एयर इंडेक्स रिपोर्ट में वायु गुणवत्ता सूचकांक 170 के पार दर्ज किया गया है, जिसे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक माना जा रहा है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है, बल्कि शहर में बढ़ते प्रदूषण के कारणों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है। सर्दियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ना विशेष रूप से चिंताजनक है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
निर्माण कार्यों से हवा में बढ़ रहा प्रदूषण

पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में शहर में तेजी से चल रहे निर्माण कार्यों ने धूल और कणों की मात्रा को काफी बढ़ा दिया है। सड़क चौड़ीकरण, फ्लाईओवर निर्माण, नए भवनों का निर्माण और लगातार खोदी जा रही सड़कों से उठने वाली धूल हवा में घुलकर पीएम 2.5 और पीएम 10 पार्टिकुलेट मैटर के स्तर को खतरनाक रूप से बढ़ा रही है।
वृक्षों की कटाई से बिगड़ा संतुलन

प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले पेड़-पौधों की बड़ी संख्या में कटाई भी इस समस्या का एक प्रमुख कारण है। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चल रहे निर्माण कार्यों के कारण पेड़ दफन हो गए हैं, जिससे प्राकृतिक फिल्टर का संतुलन बिगड़ गया है। पेड़ों की कमी से हवा को शुद्ध करने की क्षमता घट गई है, जिसका सीधा असर शहर की वायु गुणवत्ता पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि हरियाली की कमी वाले शहर अधिक तेजी से प्रदूषण का बोझ झेलते हैं।
स्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा

चिकित्सकों के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक 170 की हवा में लगातार रहने से सामान्य लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश, थकान, खांसी और सांस लेने में परेशानी हो सकती है। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और हृदय रोगियों के लिए यह प्रदूषण और भी घातक है। बच्चों और बुजुर्गों को घर से बाहर निकलने पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
विशेषज्ञों की राय

शहर में बढ़ती चिंता और नियंत्रण उपायों की आवश्यकता है। पिछले एक वर्ष में वायु गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है। हरियाली में कमी, तेजी से बढ़ता यातायात और बिना रोक-टोक हो रहे निर्माण कार्य ने शहर को प्रदूषण की चपेट में ले लिया है। यदि प्रशासन ने समय रहते धूल नियंत्रण, वाहनों पर निगरानी और पेड़ों की कटाई रोकने के सख्त कदम नहीं उठाए, तो स्थिति अगले महीनों में और बदतर हो सकती है।
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