विदेश में फर्जी दस्तावेज से रही कंचनप्रीत- पुलिस
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। तरनतारन की जेएमआइसी की अदालत की ओर से रविवार की अलसुबह चार बजे रिहा की गई कंचनप्रीत को लेकर बड़े राजफाश हुए हैं। शुक्रवार को कंचनप्रीत से छह घंटे की पूछताछ और पुलिस की जांच में सामने आया है कि 22 मार्च 2025 को कंचनप्रीत नेपालगंज बार्डर के रास्ते बिना किसी इमिग्रेशन के अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पुलिस का कहना है कि इस अवैध घुसपैठ के लिए दुबई-आधारित एजेंट बीना और नेपाल में मौजूद स्थानीय लोगों की मदद ली गई, जिसका समन्वय खुद उसका पति विदेश में रहता अमृतपाल बाठ कर रहा था और भुगतान भी उसी ने किया।
हरप्रीत सिंह नाम से बनवाया था पासपोर्ट
पुलिस के अनुसार हत्या, यूएपीए, रंगदारी मांगना, धमकाना, अपहरण, एनडीपीएस और आर्म्स एक्ट जैसे 23 गंभीर मामलों में वांछित अमृतपाल बाठ ने चंडीगढ़ से रीजनल पासपोर्ट ऑफिस से हरप्रीत सिंह नाम से पासपोर्ट बनवाया था। इसके लिए जमा किया गया शैक्षणिक प्रमाणपत्र भी हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने नकली घोषित किया है।
पासपोर्ट आवेदन में दिया गया गुरुग्राम का पता भी गलत था। पूछताछ में कंचनप्रीत ने स्वीकार किया कि हरप्रीत सिंह और अमृतपाल सिंह बाठ एक ही हैं,, जिससे यह स्पष्ट है कि वह सभी फर्जीवाड़े की जानकारी रखती थीं और धोखाधड़ी का हिस्सा थीं।
जांच में सामने आया है कि कंचनप्रीत और उनका परिवार पांच वर्षों (2020–2025) तक विदेश में इसी फर्जी पहचान का फायदा उठाकर रहा। यहां तक कि उनके बेटे जोरावर के यूएई पासपोर्ट में पिता का नाम भी फर्जी “हरप्रीत सिंह” लिखा गया, जिससे विदेशी नागरिकता व अन्य लाभ प्राप्त किए गए।
वर्ष 2024 में कंचनप्रीत ने दुबई से ब्रिटेन की यात्रा भी इसी धोखाधड़ी के सहारे की। पुलिस के अनुसार कोर्ट के निर्देश के बावजूद कंचनप्रीत ने अपनी विदेश यात्रा से जुड़े कोई भी बेसिक दस्तावेज टिकट, होटल बिल, बैंक रिकार्ड, वीजा, मोबाइल नंबर, ईमेल आइडी उपलब्ध नहीं कराए।
सबूत मिटाने की साजिश मानती है पुलिस
उसने बताया कि उसने अपने फोन विदेश में बेच दिए या छोड़ दिए, जिसे पुलिस सुबूत मिटाने की साजिश मानती है। पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि चुनाव के दौरान कंचनप्रीत अवैध रूप से भारत इसी मकसद से लौटीं कि वह जमीन पर चुनावी गतिविधियों में शामिल रहें और उसका पति विदेश से मतदाताओं को धमकाए।
पुलिस को मिले इनपुट्स बताते हैं कि 100 से अधिक परिवारों तक बाइक सवार पहुंचते थे और उन्हें वीडियो काल पर अमृतपाल बाठ से जोड़कर वोट देने का दबाव बनाया जाता था। धमकियों से डरे लोग शिकायत दर्ज कराने से भी डरते रहे।
पुलिस का कहना है कि यह मामला सिर्फ फर्जी दस्तावेजों का नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध, अवैध यात्रा, पहचान छिपाकर चुनावी हस्तक्षेप और मतदाताओं को दहशत में रखने जैसी गंभीर साजिश का है। तरनतारन पुलिस और अमृतसर ग्रामीण पुलिस मिलकर पूरे गैंगस्टर नेटवर्क को बेनकाब कर रही हैं और जांच कानून के मुताबिक आगे बढ़ रही है। |