95 लाख का ऑक्सीजन प्लांट बंद, सिलेंडर पर टिका सदर अस्पताल का दम
अरुण प्रसाद, आरा। कोरोना काल में सदर अस्पताल, आरा में 95 लाख रुपये की लागत से लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट अब सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है। तीसरी लहर के दौरान इसे जल्दबाजी में शुरू किया गया था, लेकिन कुछ ही दिनों में प्लांट बंद हो गया और तब से आज तक दुबारा चालू नहीं हो सका। नतीजा-20 करोड़ की लागत से बने नए मॉडल अस्पताल भवन का असली उद्देश्य ही अधूरा रह गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
20 जुलाई 2023 को तत्कालीन डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस अत्याधुनिक भवन का उद्घाटन किया था। उम्मीद थी कि 15 अगस्त 2023 से इमरजेंसी, आईसीयू, डायलिसिस, एसएनसीयू, प्रसूति व बर्न वार्ड जैसे महत्वपूर्ण सेक्शनों में प्लांट से सीधे ऑक्सीजन आपूर्ति शुरू हो जाएगी, लेकिन हकीकत यह है कि दो साल बाद भी पूरा अस्पताल महंगे सिलेंडर के भरोसे ही चल रहा है।
सिलेंडर पर निर्भरता बढ़ी, खर्च रोजाना 1.50 लाख रुपये
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक प्रतिदिन करीब 40 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत होती है, जिसके लिए लगभग 1.50 लाख रुपये प्रतिदिन खर्च किए जा रहे हैं, जबकि प्लांट की क्षमता प्रति मिनट 1000 लीटर ऑक्सीजन उत्पादन की है और इसका कंप्रेशर भी अपग्रेड हो चुका है। फिर भी बाहरी एजेंसियों से सिलेंडर लेने की “लाभकारी प्रवृत्ति” ने प्लांट को ठप कर रखा है, ऐसी चर्चा आम है।
अग्नि सुरक्षा शून्य, टल रहा है बड़ा हादसा
सबसे चिंताजनक बात यह है कि जिस कमरे से पूरे भवन में प्राइवेट सिलेंडर के जरिए ऑक्सीजन सप्लाई होती है, वहां एक भी अग्निशमन यंत्र नहीं लगा है। बड़ी संख्या में पड़े सिलेंडर के बीच कोई आग लग जाए तो गंभीर हादसा हो सकता है।
प्रसूति वार्ड और एसएनसीयू में भी भारी मात्रा में सिलेंडर बिना सुरक्षा उपायों के रखे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि अस्पताल के पुराने ओपीडी और नए भवन में पूर्व में कई बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं।
उपकरण तैयार, प्लांट अपग्रेड, फिर भी व्यवस्था ठप-क्यों?
इमारत तैयार, मशीनें इंस्टॉल, क्षमता बढ़ाने के लिए नई कंप्रेशर मशीन भी लग गई, फिर भी मरीजों तक प्लांट से ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब सब कुछ लग चुका है तो आखिर समस्या कहां है? यह सवाल जिला स्वास्थ्य विभाग के लिए भी चुनौती बन गया है।
अत्याधुनिक सुविधाओं के बावजूद अस्पताल का सिस्टम अपने ही प्लांट की सांस पर निर्भर नहीं है, यही सबसे बड़ा सवाल है-आखिर कब जागेगी व्यवस्था?
क्या कहते हैं सिविल सर्जन?
दक्ष कर्मियों की कमी और तकनीकी खामियों के कारण प्लांट बंद है। इसे चालू कराने के लिए विभागीय उच्चाधिकारियों को कई बार पत्र लिखा गया है। सिलेंडर भंडार गृह में जल्द ही अग्निशमन यंत्र लगाया जाएगा। - डॉ. शिवेंद्र प्रसाद सिन्हा, सिविल सर्जन, भोजपुर
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