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MBBS में थे ‘गरीब’, पास होते ही बने करोड़पति: कॉलेजों के काउंसलिंग सिस्टम और सत्यापन प्रक्रिया पर उठे गंभीर सवाल

Chikheang 2025-11-27 06:37:06 views 218

  

MCC और NMC के डाटा में सामने आई गड़बड़ी।



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे से एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाले 140 छात्र एमबीबीएस पास करते ही करोड़पति हो गए। प्रवेश के समय जिन्हें सामान्य फीस तक जमा करना मुश्किल हो रहा था, एमबीबीएस पास करते ही वह एमडी-एमएस में 25 लाख से एक करोड़ प्रति वर्ष तक की फीस भरने में सक्षम दिखे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) व राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (एनएमसी) के आधिकारिक काउंसलिंग डाटा ने मेडिकल शिक्षा की यह विसंगति उजागर की। ईडब्ल्यूएस छात्रों का ऐसा करना चौंका रहा है। ऐसे एक छात्र ने बेलगावी (कर्नाटक) में एनआरआइ कोटे से एमडी की सीट हासिल की, जिसकी फीस 90 लाख प्रति वर्ष बताई जा रही है।

एक अन्य ने पुडुचेरी में जनरल मेडिसिन में दाखिला लिया। इसकी फीस भी 70 लाख से अधिक बताई जा रही है। यह दोनों मामले एमसीसी के सीट एलाटमेंट सूची में भी दर्ज हैं। सरकारी अधिसूचना के अनुसार ईडब्ल्यूएस उम्मीदवार के परिवार की आय आठ लाख वार्षिक से कम होनी चाहिए।
पारदर्शिता पर सवाल

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमसी) इसे गंभीर बताते हुए व्यवस्था और परीक्षा की शुचिता और पारर्दशिता बनाए रखने के लिए मामले की जांच की मांग की है। डीएमए अध्यक्ष डा. गिरिश त्यागी ने sवाल उठाया कि प्रवेश के समय ऐसे छात्रों ने ईडब्ल्यूएस से संबंधित प्रमाणपत्र अवश्य दिए होंगे, उनकी जांच होनी चाहिए।

यह पता लगाना चाहिए कि एमडी में प्रवेश के लिए उन्होंने एनआरआइ और प्रबंधन कोटे के लिए लाखों-करोड़ों की फीस का प्रबंध कहा से और कैसे किया। कहाकि, हम चाहते हैं कि किसी के साथ अन्याय न हो पर, किसी पात्र व योग्य का अधिकार भी न छिना जाए।

अगर छात्रों ने प्रवेश के लिए फर्जी आय या जाति वर्ग के दस्तावेज दिए हैं, तो यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि गरीब और योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का भी हनन है। और जिसने भी यह किया है उस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

गौरतलब है कि कुछ माह पहले दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फार्मेसी करने व करवाने वाले एक गिरोह को पकड़ा था। इससे यह प्रश्न उठाए जा रहे हैं कि एमबीबीएस-ईडब्ल्यूएस मामले में भी कहीं इसी तरह का कोई संगठित गिरोह तो सक्रिय नहीं।
इंटरनेट मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं:

  • यह काउंसलिंग सिस्टम, प्रमाणपत्र सत्यापन की विफलता
  • घटना फर्जी दस्तावेज नेटवर्क की मजबूती और पहुंच बता रही
  • ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र की सत्यापन प्रक्रिया बेहद कमजोर है
  • फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने वाले गिरोह छात्रों को आसान रास्ता दे रहे हैं
  • पात्र गरीब छात्रों के अधिकारों का हो रहा हनन और भविष्य बर्बाद
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