पंचकूला में तबादला नीति और निजीकरण का विरोध करते बिजली कर्मचारी।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के बिजली कर्मचारियों ने बुधवार को ऑनलाइन ताबदला नीति, बिजली अमेंडमेंट बिल और चार नये लेबर कोड्स के विरोध में बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पंचकूला कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
बिजली कर्मचारियों के प्रमुख संगठन आल हरियाणा पावर कारपोरेशंस वर्कर यूनियन के आह्वान जुलूस निकाला गया और प्रदर्शन किया गया। इस दौरान बिजली कर्मचारियों और पुलिस के बीच नोकझोंक हुई। बिजली के निजीकरण का आरोप लगाते हुए 30 जनवरी को अब दिल्ली में प्रदर्शन किया जाएगा।
बिजली कर्मचारी बड़े सवेरे ही हरियाणा के अलग-अलग जिलों से पंचकूला स्थित यवनिका पार्क में आने शुरू हो गए थे। यह सिलसिला दोपहर दो बजे तक जारी रहा। यवनिका पार्क में करीब सवा दो बजे कर्मचारियों ने विद्युत प्रसारण व उत्पादन निगम के लिए मार्च आरंभ किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हरियाणा बिजली उत्पादन निगम पर कर्मचारियों का जुलूस पहुंचा तो पुलिस ने मेन गेट को बंद कर दिया, जिस कारण कर्मचारियों व पुलिस में नोंकझोंक हुई और आधे घंटे तक वहां नारेबाजी के बाद मेन गेट खोला गया। आंदोलनकारी कर्मचारियों ने निदेशक को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।
इसके बाद जुलूस बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के शक्ति भवन कार्यालय पर पहुंचा और वहां जमकर प्रदर्शन किया। वहां निदेशक नवीन वर्मा को ज्ञापन सौंपा गया। निदेशक ने शीध्र ही अतिरिक्त मुख्य सचिव के साथ यूनियन की बातचीत निश्चित करवाने का आश्वासन दिया।
यूनियन के राज्य प्रधान सुरेश राठी ने ऐलान किया कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के निजीकरण के खिलाफ चल रहे संघर्ष का एक साल पूरा होने पर बृहस्पतिवार को सब डिवीजन स्तर पर विरोध गेट मीटिंग होंगी।
बिजली अमेंडमेंट बिल के खिलाफ 30 जनवरी को संसद कूच में बिजली कर्मचारी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। प्रदर्शन का नेतृत्व इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन आफ इंडिया के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, आल हरियाणा पावर कारपोरेशंस वर्कर यूनियन के राज्य चेयरमैन देवेंद्र सिंह हुड्डा, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव नरेश कुमार, उप प्रधान जरनैल सिंह, यूटी इंप्लाइज एंड वर्कर्स फेडरेशन चंडीगढ़ के महासचिव गोपाल दत्त जोशी और यूनियन के कार्यवाहक जरनल सेकेट्री राजेंद्र राणा ने किया। राज्य चेयरमैन देवेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अगर सरकार व बिजली निगम प्रबंधन ने मांगों का समाधान नहीं किया तो बिजली कर्मचारी आंदोलन तेज करने पर मजबूर होंगे।
बिजली कर्मचारियों की मुख्य मांगें
- ऑनलाइन तबादला नीति को रद किया जाए
- कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए
- एनपीएस से रिटायर्ड कर्मचारियों को मेडिकल सुविधा दी जाए
- बिजली कर्मचारियों को सात हजार रुपये प्रति माह रिस्क भत्ता दिया जाए
- सभी शिकायत केंद्र व बिजली घरों में लोड अनुसार पदों पर भर्ती की जाए
- महिलाओं के लिए क्रेच रूम बने और उन्हें काम के घंटों में छूट दी जाए
- सभी कर्मचारियों को यूटिलिटी बदलने की अनुमति दी जाए
- एक्सग्रेशिया नीति में लगाई गई शर्तों को हटाया जाए
- सभी शिफ्टों में फील्ड में कर्मचारी तैनात किया जाएं
- जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट मीटर पर रोक लगाई जाए।
लेबर कोड्स के खिलाफ पूरे राज्य में हुए प्रदर्शन
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संघों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर बुधवार को मजदूरों एवं कर्मचारियों ने सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किए और प्रधानमंत्री के नाम प्रेषित ज्ञापन उपायुक्तों को सौंपते हुए लेबर कोड्स को वापस लेने की मांग की। इन प्रदर्शनों में श्रमिक संगठन सीटू, एटक, इंटक, एचएमएस, एआइयूटीयूसी और सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा तथा बैंक व बीमा क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों ने भाग लिया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने भी प्रदर्शनों का समर्थन किया और किसान भी प्रदर्शन में शामिल हुए। कर्मचारी एवं मजदूर नेताओं ने प्रदर्शनों की सफलता का दावा किया है। श्रमिक एवं कर्मचारी नेताओं ने कहा कि लेबर कोड्स को भाजपा सरकार मजदूर हितैषी दिखाने का पूरा प्रयास कर रही है। यह मजदूरों के कानूनी व बेहतर जीवन का सपना छीने जाने का मामला है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि इन लेबर कोड्स का पिछले पांच साल से विरोध जारी है।
हम मांग करते हैं लेबर कोड्स रद हों, बिजली संशोधन बिल 2025 रदद किया जाए। समान काम समान वेतन लागू हो। राज्य में न्यूनतम वेतन रिवाइज कर 26 हजार रुपये प्रति माह किया जाए। पुरानी पेंशन स्कीम बहाल हो, खाली पद भरे जाएं, सरकारी विभागों में स्थाई भर्ती हो, निजीकरण की प्रक्रिया बंद हो। मनरेगा में 200 दिन काम ओर 800 रुपये मजदूरी दी जाए। |