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Indian Railways News: लोको पायलटों को इंजन के केबिन में ही लाइव दिखेगा सिग्नल, पुख्ता होगी सुरक्षा

Chikheang 2025-11-27 01:54:48 views 267

  

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण



जागरण संवाददाता, गोरखपुर। ठंड की सरसराती हवाएं हो या गर्मी की तपती धूप, अब लोको पायलटों को सिग्नल देखने के लिए इंजन के केबिन से सिर बाहर नहीं निकालना पड़ेगा। न ही कोहरे में सिग्नल देखने में कोई परेशानी होगी। लोको पायलट इंजन के केबिन में लगे ट्रेन सुरक्षा प्रणाली यानी \“कवच\“ में ही रेल लाइन के किनारे लगे सिग्नल को लाइव देख सकेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सिस्टम से सिग्नल की आडियो व वीडियो जानकारी मिलती रहेगी। लोको पायलट इंजन के कैब में एक सेक्शन की सभी गतिविधियों को लाइव देखते रहेंगे। रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश पर पूर्वोत्तर रेलवे में कवच लगाने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। यद्यपि, कोहरे में ट्रेनों के निर्बाध संचालन को लेकर फाग सेफ डिवाइस लगाई गई है, लेकिन इस डिवाइस में सिर्फ सिग्नल की 500 मीटर पहले आडियो जानकारी मिल पाती है।

सिग्नल का लाइव लोकेशन नहीं मिल पाता है। ऐसे में ट्रेनों की रफ्तार कम पड़ जाती है। ट्रेनें अधिकतम 75 किमी प्रति घंटे की गति से ही चल पाती है। \“कवच\“ लग जाने के बाद ट्रेनें कोहरे में भी निर्धारित अधिकतम 110 की गति से चल सकेंगी।  

जानकारों के अनुसार, \“कवच\“ ट्रेनों की ढाल के रूप में कार्य करेगा। पूरी तरह स्वदेशी \“कवच\“ एक रेलखंड के एक सेक्शन में एक रेल लाइन पर ट्रेनों की टक्कर नहीं होने देगा। दो ट्रेनों के आमने-सामने या आगे-पीछे होने पर स्वत: इमरजेंसी ब्रेक लग जाएगा। \“कवच\“ लोको पायलटों की सभी गतिविधियों की भी निगरानी करेगा।

किसी भी प्रकार की चूक होने या एक सेक्शन में दूसरी ट्रेन के आते ही आडियो व वीडियो के माध्यम से लोको पायलटों को अलर्ट कर देगा। कोहरे में भी लोको पायलटों को सिग्नल की जानकारी देता रहेगा। लोको पायलटों की कोई प्रतिक्रिया नहीं होने या लाल सिग्नल पार करने पर आटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा। कवच उपकरण ट्रेन को निर्धारित सेक्शन स्पीड से अधिक चलने नहीं देगा। समपार फाटकों पर भी स्वत: सीटी बजती रहेगी। दुर्घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगेगा।

फिलहाल, पूर्वोत्तर रेलवे में आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के साथ \“कवच\“ लगाने की प्रक्रिया भी आरंभ हो चुकी है। 1,441 रूट किमी रेलमार्ग पर \“कवच\“ लगाने के लिए 492.21 करोड़ रुपये बजट स्वीकृत है। प्रथम चरण में पूर्वोत्तर रेलवे के 558 रूट किमी पर कवच लगाने का कार्य किया जाएगा, जिसमें लखनऊ मंडल के सीतापुर सिटी-बुढ़वल जंक्शन, बुढ़वल जंक्शन-गोरखपुर कैंट, मानक नगर-लखनऊ जंक्शन-मल्हौर एवं बाराबंकी-बुढ़वल जंक्शन तथा वाराणसी मंडल के गोरखपुर कैंट-गोल्डिनगंज खंड शामिल है। मुख्य रेलमार्ग छपरा-बाराबंकी में टावर लगाने का कार्य प्रगति पर है। गोरखपुर कैंट-छपरा ग्रामीण के मध्य टावर लगाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

ऑटोमेटिक ब्लाक सिग्नल के साथ कार्य करता है \“कवच\“
\“कवच\“ ऑटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के साथ मिलकर कार्य करता है। ऑटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लगने के साथ ही कवच सिस्टम भी लगना आरंभ हो गया है। लोको पायलट अपने केबिन में सिग्नल लाइव देखते रहेंगे। कोहरे में भी ट्रेनों का संचालन प्रभावित नहीं होंगा। ट्रेनें निर्बाध गति से चलती रहेंगी। बाराबंकी-छपरा रूट पर आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम भी तेजी के साथ लग रहा है।

यह भी पढ़ें- सिस्टम पर सवाल: रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर यात्रियों के बीच दौड़ रहा ट्रैक्टर, मुश्किल में आवागमन

इंजन के कैब, सिग्नल व पटरियों पर लगेगा \“कवच\“
कवच सिस्टम प्रत्येक एक किलोमीटर पर लग रहे आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के सिग्नल, पटरियों, इंजन के कैब और इंजन के नीचे तथा स्टेशन मास्टर के पैनल में लगाया जाएगा। जो एक सेक्शन में चलने वाली ट्रेन की गति समेत इंजन और सिग्नल की प्रत्येक गतिविधियों को रीड (पढ़ता) करता रहेगा।

रेड सिग्नल होने, निर्धारित से अधिक गति होने, लोको पायलटों की सक्रियता नहीं होने तथा एक सेक्शन यानी एक किमी के अंदर दूसरी ट्रेन के आते ही कवच सक्रिय हो जाएगा। सबसे पहले वह लोको पायलटों और स्टेशन मास्टर को अलर्ट करेगा। फिर इमरजेंसी ब्रेक लगा देगा।

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वयं किया है परीक्षण
कवच सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक पर तैयार किया गया है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वयं कवच का परीक्षण किया है। चार मार्च, 2022 को रेलमंत्री ने ट्रेन में बैठकर कवच प्रणाली का परीक्षण किया था। परीक्षण की सफलता के बाद रेल मंत्रालय ने पूर्वोत्तर रेलवे सहित भारतीय रेलवे स्तर पर इस प्रणाली का प्रयोग करने के लिए अनुमति प्रदान कर दी है।
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