बीएसएस बालबाड़ी धनबाद में काउंसलर रानी प्रसाद के साथ छात्राएं। (फोटो-जागरण)
जागरण संवादाता, धनबाद। किशोरावस्था को संवेदनशील पड़ाव माना गया है। इस उम्र में किशोर-किशोरियों को उनके बाल अधिकार, सुरक्षा लैंगिक, समानता और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक होना जरूरी है। विभिन्न हार्मोनल बदलाव के कारण किशोर-किशोरियों में मानसिक तनाव का स्तर भी बढ़ जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ऐसे में जरूरी है कि अपनी समस्याएं और जिज्ञासा घर में अपनी मां को बताएं। इसके साथ धनबाद सदर अस्पताल के युवा मैत्री केंद्र से संपर्क करें। ऐसे किशोर-किशोरियों को राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सेवा प्रदान की जा रही है। यह बातें सदर अस्पताल के युवा मैत्री केंद्र की काउंसलर रानी प्रसाद ने कहीं।
वह बीएसएस बालवाड़ी में बाल सुरक्षा सप्ताह (Child Protection Week) के तहत कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। सोशल मीडिया का प्रयोग सकारात्मक तरीके से करें। किसी भी प्रकार के हिंसा या चोट के खिलाफ बोलने को कहा गया। कोई अनुचित तरीके से चट करे, तो इसके खिलाफ आवाज उठाने की बात कही।
मौके पर विद्यालय के पूनम कुमारी शर्मा, अनुपम सुप्रिया रश्मि, अरविंद कुमार यादव एवं प्रीति कुमारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
किशोरियों में कुपोषण
उन्होंने कहा कि पोषण किशोरावस्था में एक महत्वपूर्ण आयाम है। किशोरावस्था में सभी प्रकार के जरूरी प्रोटीन विटामिन युक्त आहार जरूरी है। खासकर किशोरियों के लिए संतुलित आहार बेहद जरूरी है।
अभिभावकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि उनके खानपान पर विशेष ध्यान रखें। किशोरियों में माहवारी के समय आने वाली परेशानियां, स्वच्छता समेत अन्य जरूरी बातों को उन्होंने बताया। एनिमिया लड़कियों में सबसे बड़ा कारण है।
राज्य भर में हो रहा कार्यक्रम
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य नोडल पदाधिकारी के निर्देश पर धनबाद समेत अन्य जिलों में 14 से 20 नवंबर तक बाल सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है। इसमें शिक्षा विभाग भी सहयोग कर रहा है। धनबाद ने विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम हो रहे हैं।
केंद्र सरकार की विशेष योजना है युवा मंत्री केंद्र
युवा मैत्री केंद्र में किशोरावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन, जिज्ञासा, मानसिक तनाव आदि की जानकारी दी जाती है। एनीमिया से संबंधित लड़कियों को जानकारी मिलती है।
यह केंद्र सरकार व राज्य की अति महत्वकाक्षी योजना में शामिल है। धनबाद के केंद्र में हर माह 600 से ज्यादा किशोर-किशोरी आ रहे हैं। |