खोड़ा में मकान पर लगा नंबर का स्टीकर। सौ. नगर पालिका
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। मेरे पास निखिल का पार्सल है, और मैं काफी समय से परेशान हूं। मुझे घर का नंबर नहीं मिल रहा है। जब मैं लोगों से पूछता हूं, तो वे कहते हैं कि एक और निखिल है। मैं किसके घर जाऊं? ऐसी स्थिति खोड़ा में ऑनलाइन डिलीवरी बॉय, कूरियर और चिट्ठी देने वालों को परेशान कर रही है। गायब घरों को पता देने की कोशिश सालों से चल रही है, लेकिन अब उन्हें पहचानने का काम तेजी से हो रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
नगर निगम अधिकारियों का दावा है कि दिसंबर के आखिर तक खोड़ा के सभी 43,970 घरों को उनके पते मिल जाएंगे। हालांकि, एक खास, गहन जांच के कारण घरों को नंबर और पते देने का काम रोक दिया गया है। खोड़ा 1983 में बसा था, और नगर निगम 2016 में बना था। लगभग 1.2 मिलियन लोगों की आबादी कई सालों से बिना पते के रह रही थी, जिससे रिश्तेदारों तक पहुंचने में दिक्कत हो रही थी।
लोग कैब से लेकर ऑनलाइन डिलीवरी, पोस्टल डिलीवरी, कूरियर सर्विस तक सभी सेवाओं का ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे। फिलहाल, इलाके का सर्वे करने के बाद नगर पालिका ने इसे 10 सेक्टर में बांटा है और इनके आधार पर घरों पर नंबर स्टिकर लगाए जा रहे हैं। अधिकारियों का दावा है कि सर्वे 90% पूरा हो चुका है। 43,970 घरों पर स्टिकर लगाए जाने हैं। नगर पालिका के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर अभिषेक कुमार ने बताया कि सर्वे के बाद स्टिकर प्रिंट करने, चिपकाने और डिजिटली फीड करने पर करीब 25 से 26 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं।
लोगों की दिक्कतें जारी
जिन घरों पर नंबर स्टिकर नहीं लगे हैं, उन्हें अभी भी दिक्कतें आ रही हैं। लोगों का आरोप है कि स्टिकर लगाने के बजाय नगर पालिका को नंबर प्लेट बनवानी चाहिए। साथ ही, सभी 34 वार्डों का डेटा पार्षदों से लेना चाहिए।
घर बैठे ऑनलाइन सामान ऑर्डर करने में सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है। डिलीवरी बॉय लोकेशन के हिसाब से आता है लेकिन घर ढूंढ नहीं पाता। वार्ड 34 में भी कई घरों में स्टिकर नहीं लगे हैं। नंबर प्लेट लगनी चाहिए।
-आफताब अली, वार्ड 34
खोड़ा में लोगों की दिक्कतों में घरों की पहचान न होना एक बड़ी दिक्कत रही है। अब घरों पर मकान नंबर के स्टिकर लगने लगे हैं।
- ठाकुर बृजेश सिंह, वार्ड 27
पहली बार घर आने वाले मेहमानों को भी परेशानी हो रही है। कई सालों बाद घरों का सर्वे हुआ और उनकी पहचान का काम शुरू हुआ है।
- इकराम सैफी, वार्ड 31
यहां रहने वाले लोग बेसिक सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। जब घरों पर पता नहीं होता था, तो बच्चों को फॉर्म में सिर्फ़ गली का नाम भरना पड़ता था।
- एडवोकेट हिमांशु सूर्यवंशी, लोकल रहने वाले
खोड़ा में अगर आपको कभी किसी को फ़ोन करना होता था, तो आपको सिर्फ़ अपना नाम और गली का नाम बताना पड़ता था। अब मकान नंबर दिखने लगे हैं। इससे ये दिक्कतें काफ़ी कम हो जाएंगी।
- नईम, वार्ड 13
कुछ समय में स्टिकर हटा दिया जाएगा। नियमों के अनुसार, घरों पर मेटल नंबर प्लेट लगनी चाहिए। कुछ लोगों ने स्टिकर का विरोध भी किया है।
- प्रमोद लोधी, स्थानीय निवासी
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