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यूपी में 15 दिसंबर से शुरू होगी अगले वर्ष के लिए बिजली दर तय करने की प्रक्रिया, उपभोक्ताओं को राहत की उम्मीद

Chikheang 2025-11-26 03:07:44 views 145

  

15 दिसंबर से शुरू होगी अगले वर्ष के लिए बिजली दर तय करने की प्रक्रिया।



राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लगातार छठवें वर्ष बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी न करने वाला विद्युत नियामक आयोग अगले वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए बिजली की दरें तय करने की प्रक्रिया इस बार 15 दिसंबर से शुरू करेगा। आयोग ने बिजली कंपनियों को 30 नवंबर तक एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) संबंधी प्रस्ताव दाखिल करने की अनिवार्यता से राहत देते हुए 15 दिन की मोहलत दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

संबंधित आदेश में आयोग ने स्पष्टतौर पर कहा है कि सही आंकड़ों के साथ टैरिफ प्रस्ताव दाखिल किया जाए। चूंकि अगले वर्ष पंचायत चुनाव और फिर वर्ष 2027 में विधानसभा चुनाव हैं इसलिए माना जा रहा है कि प्रदेशवासियों को राहत देने के लिए अगले वित्तीय वर्ष में भी बिजली की दरों में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं होगी।

मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2026–27 के लिए बिजली कंपनियों को एआरआर तथा वित्तीय वर्ष 2024–25 का ट्रू-अप प्रस्ताव 30 नवंबर तक आयोग में दाखिल करना होता है।

प्रस्ताव स्वीकारने की तिथि से 120 दिनों में नियामक आयोग को सुनवाई आदि की प्रक्रिया पूरी करते हुए दर संबंधी आदेश करना होता है ताकि नई दरों को वित्तीय वर्ष के पहले दिन एक अप्रैल से लागू किया जा सके। हालांकि, नई दरों के घोषित होने तक पुरानी दरें लागू रहने की पहले से व्यवस्था है।

आयोग ने 15 दिन की मोहलत देते हुए कंपनियों से कहा है कि इस बार सही और प्रमाणिक आंकड़ों के आधार पर ही प्रस्ताव दाखिल किया जाए।

उल्लेखनीय है कि चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में बिजली कंपनियों ने एक-दो नहीं बल्कि पांच बार अलग-अलग संशोधित प्रस्ताव आयोग में दाखिल किए थे जिसकी वजह से सुनवाई आदि की प्रक्रिया में काफी समय लगा और बिजली की दर संबंधी आदेश 22 नवंबर को हो सका।

इस संबंध में विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियां जानबूझकर आकड़ें बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किए जाते हैं।

मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए पहले लगभग 24 हजार करोड़ रुपये का घाटा दिखाते हुए दाखिल एआरआर से बिजली दरों में 45 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित की गई। सुनवाई के दौरान परिषद ने आयोग के समक्ष सही तथ्य रखे तो बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का ही लगभग 18,000 करोड़ रुपये सरप्लस निकला।

यही कारण रहा कि बिजली कंपनियों के चाहने पर भी बिजली की दरों में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं हो सकी। वर्मा ने सही आंकड़े दाखिल करने संबंधी आदेश का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि इस बार आयोग नई बिजली की दरें तय समय पर घोषित कर सकेगा।
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