प्रमोद दुबे, अयोध्या। मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण के ऐतिहासिक समारोह में उस समय मार्मिक दृश्य उपस्थित हुआ जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में उन असंख्य संतों, रामभक्तों और योद्धाओं का स्मरण किया, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से लेकर रामलला को स्थापित करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। योगी के शब्दों ने मंच के समक्ष उपस्थित सैकड़ों साधु-संतों की आंखें नम कर दीं। कई महंत अपने गमछों और भगवा वस्त्रों से आंसू पोंछते दिखे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब धर्म ध्वजा फहराई तो पूरा रामजन्मभूमि परिसर \“\“जय श्री राम\“\“ के गगनभेदी नारों से गूंज उठा। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने जब मंच संभाला तो उन्होंने सबसे पहले मुख्य अतिथि से लेकर उपस्थित रामभक्तों का अभिवादन किया। इसके बाद उन बलिदानियों को याद किया, जिनके बिना यह पल संभव नहीं था।
योगी का यह संबोधन जैसे ही बलिदानियों के नाम पर पहुंचा तो बैठे महंत नृत्यगोपालदास, दशरथ महल पीठाधीश्वर बिंदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य महाराज, जगद्गुरु अर्जुनद्वाराचार्य पीठाधीश्वर कृपालु रामभूषणदेवाचार्य सहित कई संत भावुक हो गए।
कुछ संत तो खुशी और कृतज्ञता के मिले-जुले भाव से सिसकियां लेते दिखे। मंच के पास बैठे एक बुजुर्ग संत ने रोते हुए कहा \“\“आज हमारा सपना साकार हो गया, जिन साथियों को गोली लगी, जिन्हें जेल हुई, आज वे जहां कहीं होंगे, प्रसन्न हो रहे होंगे।\“\“
पूरा वातावरण भावुकता से सराबोर हो गया। यह दृश्य राम मंदिर आंदोलन की लंबी यात्रा और उसके पीछे छिपे अनगिनत बलिदानों की जीती-जागती तस्वीर बन गया। कृपालु रामभूषणदेवाचार्य ने कहा सनातनियों को इस शुभ दिन का 500 वर्षों से इंतजार था। मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा फहरते ही हर एक रामभक्त के जीवन का चिर स्वप्न साकार हो गया। |