नेताओं की लूट और सिस्टम की बदहाली ने कैसे किया पाकिस्तान को बर्बाद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आतंकियों के अड्डे पाकिस्तान में भ्रष्टाचार किस हद तक हावी है, यह बात अब अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की एक नई रिपोर्ट में सामने आई है।
IMF ने इसे लेकर 186 पेज की गवर्नेंस और करप्शन डायग्नोस्टिक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट पाकिस्तान की गहरी जड़ें जमा चुकी गवर्नेंस की नाकामियों को सामने लाती है और चेतावनी देती है कि करप्शन देश के पॉलिटिकल और इकोनॉमिक स्ट्रक्चर में समा गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रिपोर्ट में पाकिस्तान में करप्शन को नुकसान पहुंचाने वाला बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एक ऐसी सिस्टमिक ताकत है जो विकास को कमजोर कर रही है, मार्केट को बिगाड़ रही है और पब्लिक इंस्टीट्यूशन को खोखला कर रही है। कैसे एलीट लोगों के कब्जे और गलत फसलों ने देश की गर्वार्नेंस को कमजोर कर दिया है।
आईएमएफ ने पाकिस्तान में भ्रष्टाचार उजागर किया
IMF टीम साफ-साफ लिखती है कि \“करप्शन पब्लिक फंड को दूसरी जगह लगाकर, मार्केट को बिगाड़कर, सही कॉम्पिटिशन में रुकावट डालकर, लोगों का भरोसा खत्म करके और घरेलू और विदेशी इन्वेस्टमेंट को रोककर पाकिस्तान के मैक्रोइकोनॉमिक और सोशल डेवलपमेंट में रुकावट डाल रही है।\“
इस रिपोर्ट में दो दशकों के गवर्नेंस इंडिकेटर्स का हवाला दिया गया है, जो पाकिस्तान को दुनिया भर में करप्शन कंट्रोल करने में सबसे खराब परफॉर्म करने वाले देशों में रखते हैं।
शासन की कमियों पर आईएमएफ की चेतावनी
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि करप्शन का सबसे नुकसानदायक रूप है अमीर लोगों का कब्जा, जिसमें कहा गया है कि \“आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा नुकसानदायक मामलों में खास अधिकार वाली संस्थाएं शामिल होती हैं जो खास आर्थिक सेक्टर पर असर डालती हैं।“ उनमें से कई खुद सरकार से जुड़ी होती हैं।
IMF ने बताया है कि जनवरी 2023 और दिसंबर 2024 के बीच, पाकिस्तान ने करप्शन से जुड़ी रिकवरी में 5।3 ट्रिलियन रुपये की रिपोर्ट दी। यह एक ऐसा आंकड़ा है जिस पर फंड जोर देता है कि यह इकॉनमी को हुए असल नुकसान का “सिर्फ एक हिस्सा है“।
ज्यूडिशियरी और ब्यूरोक्रेसी निशाने पर
IMF ने पाकिस्तान के ज्यूडिशियल सिस्टम की तीखी आलोचना की है। IMF ने इसे ऑर्गेनाइजेशनली कॉम्प्लेक्स, धीमा और राजनीतिक दखल के लिए कमजोर बताया है। इसमें चेतावनी दी गई है कि न्यायिक कमजोरियां, कॉन्ट्रैक्ट लागू करने या प्रॉपर्टी के अधिकारों की रक्षा के लिए कोर्ट पर भरोसा करने से रोकती हैं, जिससे लंबे समय के इन्वेस्टमेंट में रुकावट आती है और ताकतवर लोग सजा से आसानी से बच्ज जाते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि करप्शन परसेप्शन सर्वे में लगातार ज्यूडिशियरी और पुलिस को सबसे भ्रष्ट संस्थाओं में गिना जाता है। फंड ने नेशनल सर्वे डेटा का हवाला देते हुए कहा 68% पाकिस्तानियों का मानना है कि एंटी-करप्शन बॉडीज़ का इस्तेमाल पॉलिटिकल विक्टिमाइजेशन के लिए किया जाता है।
SIFC को लेकर बड़ी चिंताएं
IMF स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल (SIFC) की भी जांच करता है, जो निवेश के फैसलों को कंट्रोल करने वाला सिविल-मिलिट्री फोरम है। यह चेतावनी देता है कि SIFC “बिना जांचे-परखे ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी के नियमों के साथ काम करता है।
IMF का अनुमान है कि अगर पाकिस्तान गवर्नेंस में सुधर लागू करता है तो पांच साल के अंदर उसकी GDP 5-6।5 प्रतिशत बढ़ सकती है। |