प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। प्रदूषण बढ़ने के बाद खांसी के मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। खांसी के बढ़ते मामलों के बीच मरीजों को दवाइयों की डोज भी बढ़ानी पड़ रही है। पिछले 10 से 15 दिनों में खांसी के इलाज में कोई खास फर्क नहीं देखने को मिल रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लगातार खांसी के बाद जो मरीज टीबी की जांच करा रहे हैं तो रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। प्रदूषण के कारण सांस से संबंधित बीमारियों, विशेषकर ट्रैकिया सूजन की परेशानी के मरीजों की संख्या सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में वृद्धि हुई है। चिकित्सकों का कहना है कि वातावरण में बढ़ते प्रदूषण के चलते लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इसके कारण खांसी और श्वसन समस्याएं बढ़ रही हैं।
कल्याण सिंह राजकीय मेडिकल कॉलेज की नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ. मेघल चौघरी का कहना है कि प्रदूषण से श्वसन प्रणाली पर सीधा असर पड़ रहा है। इस कारण कई लोग खांसी और सांस की समस्या से जूझ रहे हैं। उनका कहना है कि मरीजों को दवाइयों की डोज बढ़ानी पड़ रही है क्योंकि खांसी का असर पहले की तरह जल्दी ठीक नहीं हो रहा है।
यह प्रदूषण का ही असर है, जिससे ट्रैकिया में सूजन हो रही है और खांसी की समस्या बढ़ रही है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. हेमंत रस्तोगी का कहना है कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण टीबी जांच कराने वालों की संख्या में दस प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
प्रदूषण के कारण हवा में घातक तत्वों का स्तर बढ़ गया है, इससे श्वसन तंत्र कमजोर हो रहा है। ऐसे में लोग खांसी और अन्य सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं। टीबी जैसी गंभीर बीमारियों की जांच भी बढ़ी है। मेडिकल कॉलेज के सीनियर रेजीडेंट डॉ. रजत का कहना है कि प्रदूषण के कारण श्वसन तंत्र में सूजन और जलन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, यदि समय रहते इलाज नहीं किया गया तो यह समस्याएं बढ़ सकती हैं।
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