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TATA की TCS पर कौन सी चोरी का लगा आरोप, जो कोर्ट ने भारी-भरकम 1650 करोड़ का जुर्माना रखा बरकरार

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नई दिल्ली। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को अमेरिकी कोर्ट ऑफ अपील्स ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने डीएक्ससी टेक्नोलॉजी (पूर्व में कंप्यूटर साइंसेज कॉर्पोरेशन) के ट्रेड सीक्रेट चोरी के मामले में टीसीएस पर लगाए गए 194 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 1,650 करोड़ रुपये) के जुर्माने को पूरी तरह बरकरार रखा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
194 मिलियन डॉलर का कुल जुर्माना

जिला अदालत के मूल फैसले में टीसीएस को क्षतिपूरक हर्जाना 56.15 मिलियन डॉलर, दंडात्मक हर्जाना 112.30 मिलियन डॉलर, ब्याज सहित पूर्व-निर्णय राशि 25.77 मिलियन डॉलर की राशि देने का आदेश दिया गया था।

TCS ने दंडात्मक हर्जाने को कानूनी रूप से अत्यधिक बताते हुए इसे कम करने या रद्द करने की अपील की थी, लेकिन अपील कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और पूरा जुर्माना बरकरार रखा।
BaNCS सॉफ्टवेयर पर इंजंक्शन हटाया

हालांकि अपील कोर्ट ने एक बड़ी राहत भी दी है। पहले जिला अदालत ने टीसीएस के BaNCS इंश्योरेंस प्लेटफॉर्म के भविष्य में उपयोग पर स्थायी रोक (इंजंक्शन) लगा दी थी। अपील कोर्ट ने इस इंजंक्शन को रद्द कर दिया, जिससे टीसीएस अब BaNCS का उपयोग जारी रख सकेगी। विश्लेषकों के अनुसार यह बीमा कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण है जो इस प्लेटफॉर्म पर रोजाना निर्भर हैं।
टीसीएस ने क्या दिया जवाब

एक्सचेंज फाइलिंग में टीसीएस ने कहा कि कंपनी इस फैसले के खिलाफ सभी विकल्पों देखते हुए आगे की समीक्षा और अपील पर विचार कर रही है और अपना पक्ष मजबूती से रखेगी। आवश्यक प्रावधान लेखा मानकों के अनुसार वित्तीय खातों में किए जाएंगे।
सेक्टर पर असर और प्रतिस्पर्धा

ग्रेहाउंड रिसर्च के चीफ एनालिस्ट संचित विर गोगिया के मुताबिक यह फैसला पूरे भारतीय आईटी सेक्टर के लिए साफ संदेश है कि आईपी उल्लंघन की कीमत अब किसी भी अल्पकालिक लाभ से कहीं ज्यादा है। एपिक सिस्टम्स केस और अब यह केस मिलाकर टीसीएस ने आईपी विवादों में लगभग आधा बिलियन डॉलर गंवा दिया है।

यह पूंजी अधिग्रहण, रिसर्च या प्रोडक्ट विस्तार में लग सकती थी।”उन्होंने आगे कहा कि इंफोसिस, एचसीएलटेक जैसे प्रतिस्पर्धी अब खुद को सुरक्षित और आईपी-अनुपालक विकल्प के रूप में पोजिशन करेंगे, खासकर इंश्योरेंस और हेल्थकेयर जैसे संवेदनशील सेक्टरों में। टीसीएस का वैल्यूएशन प्रीमियम पहले ही इंफोसिस और एचसीएलटेक के मुकाबले सिकुड़ चुका है। इस फैसले से मार्जिन पर और दबाव पड़ सकता है और निवेशक और सतर्क हो सकते हैं।

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