बड़े उद्योग समूहों को बिहार में लाना नई सरकार के लिए सबसे बड़ा टास्क
राज्य ब्यूरो, पटना। बड़े उद्योग समूहों को बिहार में लाना नई सरकार के लिए सबसे बड़ा टास्क है। यह मसला सरकार के इस लक्ष्य से भी सीधे तौर पर जुड़ा है कि अगले पांच वर्षों के दौरान एक करोड़ युवाओं को रोजगार व नौकरी उपलब्ध कराई जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद इस आशय की सूचना को चुनाव के पहले अपने एक्स हैंडल पर डाला था। एक करोड़ रोजगार और नौकरी में निजी क्षेत्र की नौकरियां व रोजगार के अवसर भी शामिल हैं।
हाल के वर्षों में कोई भी उद्योग मंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। शाहनवाज हुसैन ने जब उद्योग मंत्री का कामकाज संभाला तो उन्होंने कई नए काम शुरू कराए। उद्यमियों को बिहार बुलाकर सम्मेलन कराए। महानगरों में निवेशक सम्मेलन कराए।
लेदर व टेक्सटाइल क्षेत्र के लिए पालिसी आई। प्लग एंड प्ले शेड शुरू हुए। शाहनवाज हुसैन के प्रयास से जब माहौल बनना आरंभ हुआ तो नीतीश सरकार नए गठबंधन में चली गई। इसके बाद समीर महासेठ ने उद्योग मंत्री के रूप में काम शुरू किया।
उन्होंने जब रफ्तार पकड़ी तो फिर सरकार नए गठबंधन में चली गई और नीतीश मिश्रा ने उद्याोग विभाग की कमान संभाली। काफी सक्रियता से उन्होंने उद्योग से जुड़े पहलुओं पर काम आरंभ किया।
जब वह तेज हुए तो चुनाव आ गया। वह चुनाव भी जीते, पर मंत्री नहीं बन पाए। उद्योग विभाग का जिम्मा अब दिलीप जायसवाल के पास है।
पालिसी का बड़ा हस्तक्षेप है उद्योग महकमे के साथ
बिहार मे नए और बड़े उद्योगों की स्थापना में बड़ा हस्तक्षेप पालिसी का है। टेक्सटाइल व लेदर सेक्टर में यहां निवेश की बड़ी संभावना है। बिहार के स्किल कामगार देश के दूसरे राज्यों में इस सेक्टर में काम कर रहे हैं।
अगर बिहार में टेक्सटाइल व लेदर सेक्टर में उद्योग लगते हैं तो बाहर गए कामगार यहां वापस लौट सकते हैं। औद्योगिक प्रोत्साहन पैकेज-2025 भी आ चुका है। बड़े स्तर पर निवेश करने वाली औद्योगिक इकाइयों को मुफ्त जमीन व अन्य तरह की सब्सिडी दिए जाने की बात है।
नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाने को ले जमीन का भी अधिग्रहण किया है। सभी तरह की सुविधाओं के बीच यह टास्क है कि किस तरह से बाहर के बड़े उद्यमियों को बिहार लाया जाए। |