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डिजिटल डेस्क, बेतिया (पश्चिम चंपारण)। बिहार की राजनीति में लगातार प्रभाव बनाए रखने वाली पश्चिम चंपारण की दावेदार रेणु देवी भले ही चुनाव जीत गई हों, लेकिन सत्ता के शीर्ष पदों की दौड़ से उनका नाम आखिरी समय में बाहर हो गया। इससे उनके समर्थक ही नहीं, राजनीतिक गलियारों में भी हैरानी साफ झलक रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बीते कार्यकाल में डिप्टी सीएम और मंत्री जैसे अहम पद संभाल चुकीं रेणु देवी को लेकर इस बार भी लगभग तय माना जा रहा था कि वे एक बार फिर कैबिनेट में शामिल की जाएंगी। कई नेताओं ने तो खुलकर कहा था कि रेणु दीदी की वापसी तय है। लेकिन विस्तार की अंतिम सूची जारी होते ही राजनीतिक हलकों में बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ।
आखिर जीत के बावजूद मंत्री पद से बाहर क्यों ?
सूत्रों के अनुसार, पार्टी के भीतर कई नए चेहरों को मौका देने, जातीय, क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने और सत्ता समीकरण को नए सिरे से सेट करने की वजह से यह फैसला लिया गया।
वहीं दूसरी ओर, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस बार-रेणु देवी संतुलन में नया राजनीतिक गणित दिखाई दिया, जिसके कारण समीकरण उनके पक्ष में नहीं बन सके।
पश्चिम चंपारण में लोगों का कहना है कि \“ रेणु देवी ने क्षेत्र के लिए काम किया, फिर भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला यह समझ से परे है। उनके समर्थकों में मायूसी साफ झलक रही है, लेकिन समर्थकों का कहना है कि हमेशा की तरह शांत और संयमित रुख रखते हुए वे किसी भी भूमिका में रहकर जनता के लिए काम करती रहेंगी।
अब भी उम्मीद में समर्थक
हालांकि, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में कैबिनेट विस्तार या संगठनात्मक फेरबदल में उनके लिए रास्ता फिर खुल सकता है। फिलहाल, पश्चिम चंपारण के बेतिया से लेकर पटना तक एक ही सवाल गूंज रहा है। रेणु देवी को आखिर क्या मिला। |