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8th Pay Commission पर नया विवाद: सरकार बदल रही 10 साल की सैलरी-पेंशन साइकिल? कर्मचारी-पेंशनरों को क्या है टेंशन

cy520520 2025-11-19 23:08:01 views 456

  

8th Pay Commission पर नया विवाद: सरकार बदल रही 10 साल की सैलरी-पेंशन साइकिल? कर्मचारी-पेंशनरों को क्या है टेंशन



8th Pay Commission News: केंद्र सरकार ने 3 नवंबर को आठवें वेतन आयोग के टर्म ऑफ रेफ्रेंस (ToR) जारी कर दिए। जिसके साथ ही नया विवाद शुरू हो गया है। दावा है कि सरकार ने ToR में आठवें सेंट्रल पे कमीशन (8th CPC) के लागू होने की तारीख का जिक्र ही नहीं किया है। कर्मचारी और पेंशनर संगठनों ने इसे लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

संगठनों का कहना है कि पिछले चारों वेतन आयोग 4th से 7th तक हर 10 साल में लागू हुए हैं। 7th CPC की अवधि 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो रही है। इस आधार पर सभी को उम्मीद थी कि 8th CPC 1 जनवरी 2026 से लागू माना जाएगा। पहले सभी वेतन आयोगों की सिफारिशें बाद में आती रहीं, लेकिन प्रभाव 1 जनवरी से ही माना जाता था। लेकिन इस बार ToR में 1 जनवरी 2026 का जिक्र नहीं है, जिससे चिंता बढ़ी है।
कौन-कौन विरोध कर रहा है?

आठवें वेतन आयोग के टर्म ऑफ रेफ्रेंस जारी होने के बाद कई संगठन एक्टिव हो गए हैं और उन्होंने इसका विरोध किया है। विरोध करने वालों में ऑल इंडिया डिफेंस एम्पलॉई फेडरेशन (AIDEF), कॉन्फेडेरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलॉई एंड वर्कर्स (CCGEW) और भारत पेंशनर्स समाज (BPS) जैसे संगठन शामिल हैं। इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर ToR में कमियों का मुद्दा उठाया है।

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BPS की बड़ी आपत्तियां और मांगें

भारत पेंशनर्स समाज यानी बीपीएस ने 17 नवंबर 2025 को भेजे गए लेटर में कई आपत्तियां दर्ज की हैं और अपनी कई मांगें रखी हैं। इनमें मुख्यतः ये 7 मांगें शामिल हैं-

1. 8th CPC लागू होने की तारीख स्पष्ट करोः सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हों। इसी तारीख से 4th, 5th, 6th और 7th CPC भी लागू हुए थे। साथ ही, ToR में यह तारीख भी जोड़ी जाए।

2. \“Unfunded Cost\“ शब्द हटाओ: बीपीएस का कहना है कि Unfunded Cost (अप्राप्त लागत) शब्द बताता है कि पेंशन सरकार पर बोझ है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन को संवैधानिक अधिकार माना है। इसलिए यह शब्द गलत, भ्रामक और पेंशनरों का अपमान है।

3. पेंशन रिवीजन और पेंशन पैरिटी पर स्पष्टता: बीपीएस ने टर्म ऑफ रेफ्रेंस में यह लाइन जोड़ने की मांग की कि- “सभी पेंशनरों के लिए, रिटायरमेंट डेट से अलग हटकर, पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट्स की संरचना और रिवीजन के सिद्धांत तय किए जाएं।“

4. OPS-NPS-UPS की समीक्षा: 2004 के बाद भर्ती 26 लाख से ज्यादा कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे हैं। BPS चाहता है कि 8th CPC NPS, UPS और OPS की समीक्षा करे और बेहतर विकल्प सुझाए।

5. ऑटोनॉमस बॉडी और GDS को भी 8th CPC का लाभ मिले: बीपीएस ने ग्रामीण डाक सेवा यानी GDS को पोस्टल सिस्टम की \“रीढ़\“ बताया। साथ ही, ऑटोनॉमस और स्टैच्यूटरी बॉडीज को बाहर न रखने की मांग की है।

6. 20% अंतरिम राहत की मांगः बीपीएस ने 20 फीसदी अंतरिम राहत की मांग की है। संगठन ने महंगाई को इसकी वजह बताया है।

7. CGHS और हेल्थ सुविधाओं में सुधार: संगठन ने सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम यानी CGHS और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की मांग की है। संगठन ने ये प्रमुख मांगें सरकार के सामने रखी हैंः

  • CGHS सभी ऑटोनॉमस बॉडी कर्मचारियों तक बढ़े
  • जिला स्तर पर नए CGHS सेंटर
  • कैशलेस व बिना परेशानी वाले इलाज
  • संसदीय समिति की सिफारिशें लागू हों


बीपीएस ने कहा कि हम सरकार का विस्तारित हाथ हैं, और हमारी सभी मांगें जनहित और कर्मचारीहित में हैं।
AIDEF और CCGEW की भी कड़ी आपत्ति

AIDEF ने 4 नवंबर को वित्त मंत्री को निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कड़ी आपत्ति जताई है। संगठन ने लिखा कि, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 69 लाख पेंशनर्स, जिन्होंने देश को तीन दशक तक सेवा दी, उन्हें 8th CPC की परिधि से बाहर रखा गया है।“ वहीं, CCGEW ने PM मोदी को लेटर लिखकर कहा है कि, “ToR के कई हिस्सों में संशोधन जरूरी है, ताकि कर्मचारियों और पेंशनरों का हित सुरक्षित रहे।“
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