राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में निपुण भारत मिशन को मजबूती देने के लिए इस वर्ष भी डीएलएड प्रशिक्षुओं के माध्यम से निपुण विद्यालय आकलन कराया जाएगा। राज्य परियोजना कार्यालय ने चार दिसंबर से आकलन शुरू कराने के आदेश जारी कर दिए हैं। यह आकलन दिसंबर और फरवरी 2026 के दो चरणों में होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके तहत कक्षा एक और दो के बच्चों की भाषा एवं गणित संबंधी सीखने की दक्षताओं का परीक्षण निपुण लक्ष्य ऐप के माध्यम से किया जाएगा। जिलों को विद्यालयवार सूची, रोस्टर तैयार करने के निर्देश और विस्तृत तकनीकी व्यवस्था भेज दी गई है।
राज्य परियोजना कार्यालय ने सभी डायट प्राचार्यों और बीएसए को 25 नवंबर तक डीएलएड प्रशिक्षुओं का रोस्टर बनाकर भेजने को कहा है। प्रत्येक प्रशिक्षु को प्रतिदिन दो विद्यालयों का आकलन करना होगा, जिसमें प्रत्येक विद्यालय से 24 बच्चे कक्षा एक के 12 और कक्षा दो के 12 शामिल होंगे।
यदि किसी विद्यालय में बच्चों की संख्या 24 से कम है, तो सभी का आकलन किया जाएगा। शिक्षक बच्चों को आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, लेकिन किसी भी प्रकार से उत्तर बताकर सहायता नहीं करेंगे। आकलन डीएलएड प्रशिक्षु अपने मोबाइल या टैबलेट से करेंगे।
आकलन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ऐप में कई तकनीकी सुरक्षा उपाय भी जोड़े गए हैं। जियो-फेंसिंग की व्यवस्था के चलते आकलन केवल विद्यालय परिसर में ही संभव होगा। निर्धारित विद्यालय समय से बाहर, रविवार और सार्वजनिक अवकाश के दिन ऐप स्वतः निष्क्रिय रहेगा।
आकलन के आधार पर छात्रों और विद्यालयों की रैंकिंग भी तय होगी। भाषा और गणित दोनों में 75-75 प्रतिशत प्रश्नों के सही उत्तर देने पर छात्र को निपुण विद्यार्थी घोषित किया जाएगा। किसी विद्यालय में 80 प्रतिशत या उससे अधिक बच्चे निपुण पाए जाने पर वह विद्यालय निपुण विद्यालय घोषित होगा।
वहीं, किसी विकासखंड के 80 प्रतिशत विद्यालय निपुण विद्यालय बन जाएं तो उसे निपुण विकासखंड का दर्जा दिया जाएगा। हर डीएलएड प्रशिक्षु को प्रति विद्यालय 250 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यदि प्रशिक्षु अपने जिले से बाहर जाकर आकलन करता है, तो दो विद्यालयों के लिए 400 रुपये प्रतिदिन दिए जाएंगे।
समग्र शिक्षा परियोजना निदेशक मोनिका रानी ने कहा है कि सभी जिलों में आकलन को समयबद्ध, निष्पक्ष और तकनीकी मानकों के अनुरूप कराया जाए, ताकि निपुण भारत मिशन के लक्ष्यों की वास्तविक प्रगति सुनिश्चित हो सके। |