रमीज नेमत खान जिसने लगा दी परिवार में आग
डिजिटल न्यूज, पटना। बिहार की राजनीति में करारी हार के बाद लालू प्रसाद यादव के परिवार में उठी भूचाल की सबसे तेज़ आवाज उनकी बेटी और किडनी दान कर पिता को नया जीवन देने वाली रोहिणी आचार्या की है। रोहिणी ने सोशल मीडिया और मीडिया इंटरव्यू में परिवार छोड़ने की घोषणा कर दी। लेकिन इस फैसले की जड़ में दो नाम हैं संजय यादव और रमीज नेमत खान। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
संजय यादव तो लंबे समय से तेजस्वी के रणनीतिक सलाहकार और राज्यसभा सांसद के रूप में चर्चित रहे हैं, मगर दूसरा नाम रमीजअब पूरे बिहार की राजनीति में बड़ा सवाल बन गया है, आखिर कौन है यह रमीज, जिसका नाम लेने मात्र से लालू परिवार हिल उठा?
क्रिकेट से उठी दोस्ती, तेजस्वी की \“इनर सर्किल\“ तक पहुंचा रमीज
रमीज नेमत खान वह चेहरा है जो अब तक राजनीति की खुली रौशनी से दूर तेजस्वी यादव की “कोर टीम” का हिस्सा था। वह तेजस्वी का पुराना क्रिकेटिया दोस्त है।
दोस्ती का रिश्ता क्रिकेट के मैदान पर शुरू हुआ और धीरे-धीरे वह तेजस्वी के निजी कैंप में शामिल होता गया।
सूत्र बताते हैं कि रमीज तेजस्वी की सोशल मीडिया, कैंपेन प्लानिंग और डिजिटल स्ट्रेटेजी के मैनेजमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। कई लोग उसे तेजस्वी के “बैकग्राउंड वार रूम“ के अहम चेहरों में गिनते हैं।
UP के सियासी घराने से ताल्लुक, पूर्व सांसद का दामाद
रमीज का संबंध उत्तर प्रदेश के बलरामपुर (अब श्रावस्ती) से है। वह वहां के चर्चित नेता और पूर्व सांसद रिज़वान ज़हीर का दामाद है।
रिज़वान ज़हीर सपा के टिकट पर दो बार सांसद, कई बार विधायक और यूपी की राजनीतिक जमीन पर एक प्रभावशाली कभी-कभी विवादित चेहरा रहे हैं।
यानी रमीज सिर्फ क्रिकेटिया दोस्त नहीं, बल्कि दो राज्यों की राजनीति का मिला-जुला अनुभव रखने वाला व्यक्ति माना जाता है।
हत्या से लेकर चुनावी हिंसा तक—11 आपराधिक मामले
रमीज का नाम सिर्फ राजनीति या सोशल मीडिया मैनेजमेंट तक सीमित नहीं है। उसके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, गैंगस्टर एक्ट और चुनावी हिंसा समेत करीब 11 गंभीर मामले दर्ज हैं।
कुछ मामलों में वह आरोपी, कुछ में चल रही सुनवाई का हिस्सा है। प्रतापगढ़ के एक ठेकेदार की हत्या और बलरामपुर में एक राजनीतिक हमले में भी उसका नाम सामने आया था।
इन्हीं वजहों से वह तेजस्वी की “कोर टीम” में होने के बावजूद अब तक मीडिया की सुर्खियों दूर था। लेकिन रोहिणी के आरोपों ने इस शांत पड़े नाम को अचानक बिहार की राजनीति के केंद्र में ला दिया।
रोहिणी का आरोप...रमीज और संजय ने ‘परिवार में दखल’ बढ़ाया
रोहिणी आचार्या ने साफ कहा कि संजय और रमीज जैसे लोग परिवार पर हावी हो गए हैं। उन्होंने यहाँ तक आरोप लगाया कि उन्हें घर से निकल जाने तक के लिए कहा गया।
रोहिणी का ये बयान न सिर्फ निजी पीड़ा का इज़हार है, बल्कि यह भी दिखाता है कि RJD की चुनावी राजनीति के अंदर एक “नया पावर सेंटर” बन चुका है, जिसमें रमीज अहम भूमिका निभा रहा है।
RJD की हार के बाद सबसे बड़ा सवाल
अब सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि RJD की करारी हार के बाद क्या तेजस्वी यादव अपने “क्रिकेटिया–डिजिटल सर्किल” पर ज़रूरत से ज़्यादा विश्वास कर रहे हैं?
और क्या रमीज नेमत खान की मौजूदगी ने परिवार की पुरानी राजनीतिक धुरी को तोड़ दिया है?
रोहिणी के नाम लेने से साफ है, RJD के भीतर संघर्ष सिर्फ चुनावी नहीं, बल्कि “नियंत्रण और प्रभाव की लड़ाई” भी है।
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