ज्योतिष झा, जोकीहाट (अररिया)। जोकीहाट विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने दूसरी बार बड़े बड़े दिग्गजों को पटकनी देकर शानदार जीत दर्ज कर सनसनी फैला दी है। चुनावी मैदान में तीन पूर्व मंत्रियों को मुर्शिद आलम ने धूल चटा दी। मैदान में महागठबंधन उम्मीदवार पूर्व मंत्री शाहनवाज आलम, पूर्व सांसद जनसुराज उम्मीदवार सरफराज आलम व जदयू से पूर्व मंत्री शाहनवाज आलम डटे थे, लेकिन ओवैसी फैक्टर ने मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण कर सबों की मंशा में पानी फेर दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस तरह महागठबंधन के एमवाई समीकरण को भी सीमांचल सहित जोकीहाट में धक्का लगा है। बता दें कि जोकीहाट विधानसभा का शुक्रवार को बाजार समिति प्रांगण अररिया में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू हुए मतगणना में दस राउंड की गिनती तक जदयू प्रत्याशी मंजर आलम बढ़त बनाए रखा। बढ़त बरकरार रहने से एनडीए कार्यकर्ताओं में जोश छाने लगा, लेकिन ज्यों ज्यों राउंड बढ़त गया जदयू पर एआईएमआईएम की बढ़त होने लगी।
दस राउंड के बाद कुल 26 राउंड तक हुए मतगणना में एआईएमआईएम लगातार बढ़त बनाए रखा। एआईएमआईएम ने दिखा दिया कि असदुद्दीन ओवैसी का जलवा आज भी कायम है। एआईएमआईएम उम्मीदवार मुर्शिद आलम ने भी लोकल स्तर पर रणनीति बनाकर दिनरात कड़ी मेहनत की। लोगों का विश्वास जीतने के लिए उन्होंने जोकीहाट के रानी चौक से पश्चिम हाइवे पर घर बनाया और लोगों से मिलने जुलने का काम रानी चौक स्थित आवास सह कार्यालय में शुरू कर दिया।
मुर्शिद आलम के जीत का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि ओवैसी ने इस सीट को प्रतिष्ठा से जोड़ कर शाहनवाज व सरफराज आलम के गढ़ उदाहाट, मलहरिया हाट, हाटगांव में तसलीमुद्दीन के दोनों पुत्रों पर जमकर हमला किया। दोनों भाईयों के बीच की कलह को जनमानस के पटल पर रखकर राजनीतिक लाभ लेने की ओवैसी ने पूरी कोशिश की जिसमें वे कामयाब भी हुए।
ओवैसी ने सरफराज और शाहनवाज आलम पर कटाक्ष करते हुए मलहरिया हाईस्कूल मैदान में कहा था कि जहां दो भाई आपस में मोहब्बत नहीं करते वह आपसे क्या मोहब्बत करेंगे। ओवैसी की जादुई स्पीच ने तसलीमुद्दीन परिवार की दुखती रग पर हाथ रखकर कुरेदने की पूरी कोशिश की जिसमें वह सफल भी रहे। परिणामस्वरूप महलगांव क्षेत्र में हल्ला सरफराज आलम व शाहनवाज आलम का होता रह, लेकिन वोट मुर्शिद आलम की झोली में चली गई।
जोकीहाट प्रखंड जो तस्लीमुद्दीन परिवार का गढ़ माना जाता है। आपसी पारिवारिक कलह ने तसलीमुद्दीन के गढ़ को छिन्न भिन्न कर दिया। मतदाताओं को नये सिरे से सोचने के लिए मजबूर कर दिया। पिछले दो चुनावों से दोनों भाईयों के बीच राजनीतिक कलह ने भी एआईएमआईएम को पनपने का बड़ा मौका दिया।
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जोकीहाट विधानसभा सीट से एआईएमआईएम प्रत्याशी के रूप में शाहनवाज आलम ने राजद अपने बडे़ भाई सरफराज आलम को हराकर विधानसभा पहुंचे थे। बाद में उन्होंने एआईएमआईएम से इस्तीफा देकर राजद का दामन थाम लिया था।
उन्होंने क्षेत्र में चहुंमुखी विकास किया। विधानसभा में जोकीहाट की समस्याओं को लगातार उठाया। जोकीहाट बाजार में विकास के लिए व्यवसायियों को पूरी सुरक्षा दी, लेकिन ओवैसी फैक्टर ने इनकी मंशा को चकनाचूर कर दिया। सरफराज आलम विधानसभा चुनाव में जोकीहाट में शुरू से रेस रहे। लगातार लोगों से मिलकर जोकीहाट विधानसभा की समस्याओं को और प्रखंड व अंचल में फैले भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने का वादा किया।
चुनाव के दौरान सरफराज आलम पूरी तरह हावी रह, लेकिन अंतिम समय में मुस्लिम वोटों के पोलराइज होने के कारण सरफराज आलम का वोट भी धीरे धीरे झोली से निकलकर मुर्शिद की झोली में चला गया। वहीं जदयू प्रत्याशी मंजर आलम को भी बिरादरी के वोटरों पर भरोसा था कि बीस हजार वोट जरूर उनकी झोली में आएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। ताजा चुनाव परिणाम ने तसलीमुद्दीन परिवार को बड़ा झटका दिया है जिसका नुकसान निकट भविष्य में भरपाई कठिन होगी। |