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बाहरी मुस्लिमों को उत्तराखंड का स्थायी निवासी बनाने वाले रैकेट का भंडाफोड़, जनसुनवाई में मिली शिकायत से हुआ पर्दाफाश

deltin33 2025-11-14 15:36:46 views 594
  

एसडीएम को प्राथमिकी दर्ज करने और सीओ को गहन पूछताछ के दिए निर्देश



जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। दूसरे राज्यों के मुस्लिमों को उत्तराखंड का स्थायी निवासी बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। गिरोह के सदस्य एक जैसे नाम वाले किसी स्थायी निवासी के दस्तावेजों का गलत तरीके से इस्तेमाल कर बाहरियों को उत्तराखंडी बना रहे थे। जनसुनवाई के दौरान इस संबंध में एक शिकायत मिलने पर कुमाऊं मंडल के आयुक्त दीपक रावत ने बनभूलपुरा में मौके पर जाकर जांच की जिसमें पता लगा कि उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के रहने वाले रईस व जलीस का स्थायी निवास प्रमाण पत्र बना दिया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जांच में यह भी पता लगा कि रईस और जलीस नाम के व्यक्ति पहले से ही बनभूलपुरा में रहते हैं और उनका स्थायी निवास बना है जिनके दस्तावेजों का इस्तेमाल कर पूरे कृत्य को अंजाम दिया गया। आशंका जाहिर की जा रही है कि दूसरे राज्यों के लोगों को गलत तरीके से उत्तराखंड का नागरिक बनाने के ऐसे सैकड़ों मामले हैं।

ऐसे में आयुक्त ने इसकी गहन जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि सभी जिलाधिकारी अपने-अपने जिलों में ऐसी गतिविधियों की जांच कर कार्रवाई करें। आयुक्त की मानें तो इस तरह की संदिग्ध और आपराधिक गतिविधियों से प्रदेश की जानसांख्यिकीय में बदलाव का षड्यंत्र रचा जा रहा है।  

बता दें कि पिछले शनिवार को आयुक्त दीपक रावत हल्द्वानी स्थित अपने कैंप कार्यालय में जनसुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान बनभूलपुरा के रहने वाले रईस ने आयुक्त को बताया कि उनके नाम व दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल कर बरेली के एक व्यक्ति को उत्तराखंड का स्थायी निवासी होने का प्रमाणपत्र दे दिया गया है। इसके बाद आयुक्त मामले की जांच में जुट गए।

गुरुवार को वह प्रशासनिक व पुलिस टीम के साथ बनभूलपुरा पहुंचे। यहां जांच में पता चला कि तहसील के अरायजनवीस फैजान मिकरानी ने कुछ समय पहले ही बरेली से आए रईस व जलीस का स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाया है। आयुक्त ने फैजान के घर से कई लोगों के आधार कार्ड, बिजली के बिल और अन्य जरूरी दस्तावेज बरामद किए। फैजान ने जिस कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) से गलत तरीके से स्थायी निवास का प्रमाणपत्र बनवाया था, वह मौके पर बंद पाया गया।

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यह भी पता लगा कि इस तरह के स्थायी निवास प्रमाण पत्रों को संबंधित क्षेत्र के पटवारियों ने भी आनलाइन सत्यापित किया है। इस पर आयुक्त ने एसडीएम को जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही संबंधित अरायजनवीस के लाइसेंस की जांच करने और बिना लाइसेंस के तहसील में दस्तावेज लेखन कार्य करने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

एसडीएम राहुल शाह को प्राथमिकी दर्ज करने के साथ ही सीओ सिटी नितिन लोहनी को भी आरोपितों से पूछताछ करने का निर्देश दिया है। दरअसल, अरायजनवीस तहसील में दस्तावेज लेखन संबंधित कार्य करते हैं। इसके लिए लाइसेंस मिलता है, लेकिन कुछ बिना लाइसेंस के ही यह काम करते हैं।

ऐसे बनाया नकली स्थायी निवास प्रमाण पत्र
आयुक्त की जांच में पाया गया कि अरायजनवीस ने बनभूलपुरा के रईस के मोबाइल नंबर पर ओटीपी मंगाया था। इसी ओटीपी का इस्तेमाल एक फर्जी ईमेल आइडी तैयार करने में किया गया। इसी ईमेल के जरिये ही बरेली के रईस का स्थायी निवास प्रमाण पत्र बना दिया गया। ऐसे ही तरीके से बाहरी लोगों के स्थायी निवास बनाए जा रहे थे। वहीं देवेंद्र पांडे नाम का एक व्यक्ति भी आय प्रमाण बनाने के लिए इसी अरायजनवीस के पास पहुंचा था जिस पर अरायजनवीस ने देवेंद्र के मोबाइल नंबर से नया ईमेल आइडी तैयार कर लिया था।

सरकारी विभागों की भी मिलीभगत आई सामने
इस रैकेट में ऊर्जा निगम समेत अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों की संलिप्तता भी नजर आई है। फैजान की ऊर्जा निगम के एक कर्मचारी से लगातार बात होती थी। उसी से बिजली के बिलों को मंगाया जाता था। फिर इन बिलों के जरिये बाहरी लोगों के मिलते-जुलते नाम से स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाया जा रहा था। फैजान के पास बड़ी संख्या में बिजली के बिल भी मिले हैं।
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