सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, आगरा। तीन बच्चों की कहानी में उलझकर पुलिस पांच दिन तक घनचक्कर बनी रही। 12 वर्ष की बालिका बार-बार कहानी बदलकर जीआरपी को अपनी बातों से उलझाती रही।
उसके बैग में मिले एक कागज पर लिखे मोबाइल नंबर से पुलिस को स्वजन का सुराग मिला। गुरुवार को जीआरपी ने बाल कल्याण समिति के माध्यम से बालिका और दोनों बच्चों को उनके स्वजन के सिपुर्द कर दिया।
कैंट रेलवे स्टेशन के पास सात नवंबर को 12 वर्षीय बालिका दो बच्चों के साथ लावारिस हालत में घूम रही थी। जिसमें बालिका आठ व बालक सात वर्ष का था। एक महिला ने तीनों को लालकुर्ती पुलिस चौकी पर लेकर गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्हें पुलिस के सिपुर्द कर दिया। बच्चों ने पुलिस को बताया कि उनके माता-पिता की म़ृ़त्यु हाे गई है। वह दूसरे पिता के पास रहते हैं। जो कबाड़ का काम करते हैं। उनके साथ खाटू श्याम घूमने जा रहे थे। पिता रास्ते में बस से सामान लेने उतर गए। बस चल दी और वह यहां आ गए।
तीनों को राजकीय शिशु गृह में दाखिल कर दिया। बालिका की आयु अधिक होने पर उसे आशा ज्योति केंद्र शेल्टर होम में भेज दिया।
जीआरपी की आपरेशन मुस्कान की टीम ने बालिका और बच्चों की काउंसलिंग की तो वह पुरानी कहानी दोहराते रहे। बताया कि वह ग्वालियर के रहने वाले हैं। टीम को बालिका के बैग की तलाशी में एक कागज पर लिखा मोबाइल नंबर मिला।
संपर्क करने पर काल रिसीव करने वाले ने बताया कि वह बच्चों का रिश्तेदार दीपक सोनी बोल रहा है। परिवार दो सप्ताह से बच्चों को खोज रहा है। दीपक बच्चों के पिता को लेकर आगरा पहुंचा।
पिता ने बताया कि मध्य प्रदेश के दतिया का रहने वाला है। बालिका पडा़ेस में रहती है। उसके माता-पिता जीवित हैं। पुलिस ने बालिका के स्वजन से बात किया, उन्होंने पड़ाेसी के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करा रखी थी।
बालिका के स्वजन गुरुवार को आगरा आए थे। टीम मुस्कान के प्रभारी इंस्पेक्टर रिपुदमन सिंह ने बताया कि बालिका और दोनों बच्चों को उनके स्वजन के सिपुर्द कर दिया।
नेपाल के तीन बच्चाें को स्वजन के सिपुर्द किया
नेपाल के रहने वाले तीन बच्चे परिवार को बिना बताए दिल्ली घूमने गए थे। चार दिन पहले पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में घूमते देख पहाड़गंज के आश्रय गृह में भेज दिया था।
आपरेशन मुस्कान टीम द्वारा काउंसलिंग के बाद बच्चों ने बताया कि वह दिल्ली घूमने निकले थे। उत्तराखंड से ट्रेन से दिल्ली आए थे। वह नेपाल के कंचनपुर जिले के रहने वाले हैं।टीम ने स्वजन के मोबाइल नंबर लेकर उस पर बात की।
स्वजन को दिल्ली बुलाकर बाल कल्याण समिति के सामने पेश कर दूतावास के माध्यम से स्वजन के सिपुर्द कर दिया।
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